क्या पीएम मोदी ने चौथे नरेश वांगचुक की 70वीं जयंती पर बधाई देकर भारत-भूटान संबंधों को फिर से मजबूत किया?
सारांश
Key Takeaways
- पीएम मोदी ने भूटान की यात्रा की और चौथे नरेश को बधाई दी।
- भूटान-भारत संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया गया।
- भूटान के वर्तमान नरेश की तारीफ की गई।
- दोनों देशों के बीच मैत्री को दर्शाने वाला कार्यक्रम था।
- महामहिम चौथे नरेश का योगदान महत्वपूर्ण है।
थिम्पू, 11 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भूटान की दो दिवसीय यात्रा के दौरान, राजधानी थिम्पू के चांगलिमथांग स्टेडियम में आयोजित एक ऐतिहासिक समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर भूटान के चौथे नरेश महामहिम जिग्मे सिंग्ये वांगचुक का 70वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत में, भूटान के वर्तमान नरेश ने दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार बम विस्फोट में मारे गए लोगों की याद में मौन रखकर सामूहिक प्रार्थना की। पीएम मोदी भी इस प्रार्थना में शामिल हुए। इस अवसर पर भूटान के वर्तमान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक, शाही परिवार के सदस्य, प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे और हजारों भूटानी नागरिक उपस्थित रहे।
पीएम मोदी ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा, "मैं भारत की 140 करोड़ जनसंख्या की ओर से महामहिम चौथे नरेश और भूटान के सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। महामहिम चौथे नरेश ने भूटान को एक आधुनिक राष्ट्र बनाया और संवैधानिक लोकतांत्रिक राजतंत्र की नींव रखी।"
प्रधानमंत्री ने चौथे नरेश के योगदान को याद किया, जिसने भारत-भूटान मैत्री को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने कहा, "यह अनोखा रिश्ता महामहिम चौथे नरेश की व्यक्तिगत रुचि और बुद्धिमानी से लगातार मजबूत हुआ है। उनके मार्गदर्शन से यह संबंध भविष्य में और गहरा होगा।"
पीएम मोदी ने भूटान के वर्तमान नरेश की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "महामहिम पांचवें नरेश ने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाया है, और भूटान की प्रगति पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा है। भारत और भूटान की दोस्ती आज पहले से कहीं अधिक मजबूत है।"
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत-भूटान संबंध किसी एक सरकार या व्यक्ति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह दोनों देशों की जनता के दिलों में बसी मैत्री है।