क्या पीएम मोदी ने नवरात्रि के चौथे दिन पी. सुशीला का भक्ति गीत 'जय जय देवी' साझा किया?

सारांश
Key Takeaways
- पी. सुशीला का भक्ति गीत 'जय जय देवी दुर्गा देवी' बहुत ही लोकप्रिय है।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवरात्रि के अवसर पर इसे साझा किया।
- गीत में देवी की महिमा का बखान किया गया है।
- यह भक्ति गीत भक्तों को प्रेरित करता है।
- पी. सुशीला को उनके कार्य के लिए कई पुरस्कार मिल चुके हैं।
नई दिल्ली, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा के लिए एक अत्यंत विशेष और भावुक पोस्ट अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित गायिका पी. सुशीला द्वारा गाए गए भक्ति गीत 'जय जय देवी दुर्गा देवी' को साझा किया।
इस पोस्ट के जरिए प्रधानमंत्री ने नवरात्रि पर्व के इस पवित्र अवसर पर मां कूष्मांडा के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था व्यक्त की। यह गीत न केवल देवी की महिमा का गुणगान करता है, बल्कि भक्तों के मन में भक्ति और विश्वास की भावना भी जागृत करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पोस्ट में लिखा, "नवरात्रि में आज देवी माता के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा को मेरा बारंबार प्रणाम। सूर्य के समान दैदीप्यमान देवी मां से प्रार्थना है कि वे अपने सभी भक्तों को संपन्नता और प्रसन्नता का आशीर्वाद दें। उनका दिव्य आलोक हर किसी के जीवन को प्रकाशित करे।"
पी. सुशीला भारतीय संगीत के क्षेत्र की एक अनमोल प्रतिभा हैं। उनका करियर कई दशकों पुराना है और उन्होंने अपनी मधुर आवाज से तमिल, तेलुगु, कन्नड़, और मलयालम सहित कई भाषाओं में गाने गाए हैं, जो संगीत प्रेमियों के दिलों को छूते हैं।
उनकी गायकी ने दक्षिण भारतीय संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया है। उन्होंने लगभग ५०,००० से अधिक फिल्मी और भक्ति गीत रिकॉर्ड किए हैं, जो उनकी मेहनत और समर्पण को दर्शाता है। उनकी आवाज की मिठास और भावनात्मक गहराई उन्हें अन्य गायिकाओं से अलग पहचान देती है।
पी. सुशीला को उनके अद्वितीय योगदान के लिए पांच बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
भक्ति संगीत के क्षेत्र में उनका योगदान अद्वितीय है, विशेषकर नवरात्रि जैसे धार्मिक अवसरों पर उनके गीत भक्तों की आत्मा को छू जाते हैं। 'जय जय देवी दुर्गा देवी' जैसे भक्ति गीतों में उनकी भावपूर्ण प्रस्तुति देवी की महिमा और शक्ति का गहन अनुभव कराती है। उनकी गायकी में जो भक्ति झलकती है, वह सुनने वालों को आध्यात्मिक आनंद देती है।