क्या पीएम मोदी ने 'वंदे मातरम्' की गौरव गाथा सुनाई? कहा- गीत से अंग्रेजों को ईंट का जवाब पत्थर से दिया गया

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क्या पीएम मोदी ने 'वंदे मातरम्' की गौरव गाथा सुनाई? कहा- गीत से अंग्रेजों को ईंट का जवाब पत्थर से दिया गया

सारांश

पार्लियामेंट में पीएम मोदी ने 'वंदे मातरम्' के 150 साल पूरे होने पर चर्चा करते हुए इसकी ऐतिहासिकता और महत्व को उजागर किया। उन्होंने बताया कि यह गीत कैसे स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बना और आज भी हमें प्रेरित करता है। जानिए इस गीत की गाथा के बारे में विस्तार से।

Key Takeaways

  • वंदे मातरम् का जन्म 1875 में बकीमचंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा हुआ था।
  • यह गीत स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है।
  • पीएम मोदी ने इसे आजादी के आंदोलन का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया।
  • वंदे मातरम् आज भी हमें प्रेरित करता है।
  • इस गीत से हमें एकता और साहस का संदेश मिलता है।

नई दिल्ली, ८ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। संसद का मानसून सत्र चल रहा है। इस दौरान भारत के राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम्' के १५० साल पूरे होने पर चर्चा की जा रही है। इस अवसर पर पीएम मोदी ने वंदे मातरम् की गौरव यात्रा को याद किया। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों की साजिश के खिलाफ वंदे मातरम् गाया गया था।

पीएम मोदी ने लोकसभा में बोलते हुए कहा, "वंदे मातरम् ने १९४७ में देश को आज़ादी दिलाई। वंदे मातरम् के जयघोष में स्वतंत्रता संग्राम का भावनात्मक नेतृत्व था। जब इसपर चर्चा हो रही है, तो यहाँ पर कोई पक्ष-प्रतिपक्ष नहीं है। हम सभी यहाँ पर जो बैठे हैं, वास्तव में हमारे लिए रण स्वीकार करने का अवसर है। जिस वंदे मातरम् के कारण आज़ादी का आंदोलन चला, उसी का परिणाम है कि आज हम यहाँ पर बैठे हुए हैं। इसलिए हम सभी सांसदों और दलों के लिए यह रण स्वीकार करने का पावन पर्व है।"

उन्होंने कहा, "वंदे मातरम् की जिस भावना ने देश की आज़ादी की जंग लड़ी, पूरा देश एक स्वर में वंदे मातरम् बोलकर आगे बढ़ा। इससे प्रेरणा लेकर एक बार फिर आगे बढ़ने का अवसर है। देश को साथ लेकर चलें, आज़ादी के दीवानों ने जो सपने देखे थे, उन्हें पूरा करने के लिए वंदे मातरम् हम लोगों के लिए प्रेरणा और ऊर्जा बने। २०४७ में हम विकसित बनें। इस संकल्प को दोहराने के लिए वंदे मातरम् हमारे लिए बहुत बड़ा अवसर है।"

पीएम मोदी ने राष्ट्रीय गीत के इतिहास के बारे में बताते हुए कहा, "वंदे मातरम् की इस यात्रा की शुरुआत बकीमचंद्र जी ने १८७५ में की थी। गीत ऐसे समय में लिखा गया था, जब १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज सल्तनत बौखलाई हुई थी और कई तरह के जुल्म कर रही थी। अंग्रेज भारत के लोगों को मजबूर कर रहे थे। अंग्रेज अपने राष्ट्रीय गीत को घर-घर पहुंचाने का षड़यंत्र कर रहे थे। ऐसे समय में बकीम दा ने चुनौती दी और ईंट का जवाब पत्थर से दिया। इस तरह वंदे मातरम् का जन्म हुआ।"

उन्होंने कहा, "इसके कुछ वर्ष बाद १८८२ में जब उन्होंने 'आनंद मठ' लिखा, तो इस गीत का उसमें समावेश किया गया। वंदे मातरम् ने उस विचार को पुनर्जीवित किया था, जो हजारों वर्ष के भारत की रग-रग में रचा-बसा था। उसी भाव, संस्कारों, संस्कृति और परंपरा को उन्होंने बहुत ही उत्तम शब्दों में उत्तम भाव के साथ वंदे मातरम् के साथ हम सबको बहुत बड़ी सौगात दी थी। वंदे मातरम् सिर्फ राजनीतिक आज़ादी की लड़ाई का मंत्र नहीं था। यह इससे कहीं अधिक था।

Point of View

बल्कि एक प्रेरणास्रोत है। यह स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक है और आज भी हमें एकजुटता का संदेश देता है। पीएम मोदी का यह भाषण हमें याद दिलाता है कि हमें अपने इतिहास और संस्कृति को समझते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

वंदे मातरम् का महत्व क्या है?
वंदे मातरम् का महत्व स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक प्रेरणादायक गीत के रूप में था। यह गीत आज भी भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक है।
पीएम मोदी ने वंदे मातरम् पर क्या कहा?
पीएम मोदी ने वंदे मातरम् की गौरव यात्रा को याद करते हुए कहा कि यह गीत 1947 में देश को आज़ादी दिलाने में महत्वपूर्ण था।
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