क्या पीएम मोदी के भूटान दौरे पर अध्यात्म, व्यापार, विकास और विरासत की झलक देखने को मिलेगी?
सारांश
Key Takeaways
- पीएम मोदी का भूटान दौरा आध्यात्मिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है।
- भारत और भूटान के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत हो रहे हैं।
- रेलवे कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए समझौतों पर चर्चा की जाएगी।
- भूटान को भारत से आवश्यक वस्तुओं के निर्यात पर कोई रोक नहीं है।
- फिनटेक और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया जा रहा है।
नई दिल्ली, 10 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 से 12 नवंबर को भूटान का दौरा करेंगे। इस यात्रा को व्यापार के साथ-साथ आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। दौरे के दौरान अध्यात्म, व्यापार और विरासत की झलक देखने को मिलेगी।
भूटान में पीएम मोदी भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की पूजा करेंगे।
भारत और भूटान के बीच आध्यात्म का गहरा संबंध है। बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग भारी संख्या में भूटान में भगवान बुद्ध के धार्मिक स्थलों पर पहुंचते हैं।
व्यापारिक संबंधों की बात करें तो, 2007 की भारत-भूटान मैत्री संधि और 2016 के भारत-भूटान व्यापार, वाणिज्य एवं पारगमन समझौतों ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध को और भी मजबूत किया है। इन समझौतों के जरिए भारत और भूटान के बीच मुक्त व्यापार व्यवस्था स्थापित की गई है। इसके साथ ही भूटान को तीसरे देशों से आयातित वस्तुओं के लिए फ्री ट्रांजिट की सुविधा भी मिलती है।
भारत लगातार भूटान का शीर्ष व्यापारिक साझेदार रहा है। भूटान के कुल व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 2023 में 79.17 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 79.88 प्रतिशत हो गई है।
जनवरी-दिसंबर 2024 में, भारत का भूटान के साथ द्विपक्षीय व्यापार 12,669 करोड़ रुपए का था। इसमें से भूटान को भारत का निर्यात 9,538 करोड़ रुपए और भूटान से भारत का आयात 3,131 करोड़ रुपए था।
भारत ने भूटान को जरूरी वस्तुओं के निर्यात पर किसी भी प्रकार के प्रतिबंध या रोक नहीं लगाई है। इसके अलावा, भूटान के निर्यात को सरल बनाने के लिए कई व्यापारिक मार्गों को मंजूरी दी गई है। हाल ही में, भूटान को विभिन्न उर्वरकों की आपूर्ति के लिए एक बी2बी (बिजनेस टू बिजनेस) समझौता हुआ है।
भारत और भूटान के बीच संपर्क को और बढ़ाना दोनों देशों की प्राथमिकता है, जिसमें सीमा पार रेल संपर्क स्थापित करना, सड़क संपर्क को मजबूत करना, एकीकृत चेक पोस्ट और व्यापार मार्ग स्थापित करना, नए आव्रजन बिंदु और डिजिटल संपर्क शामिल हैं।
रेलवे कनेक्टिविटी की दिशा में काम करते हुए 29 सितंबर, 2025 को भारत और भूटान ने एक अंतर-सरकारी समझौता किया। इसके तहत दो रेल संपर्क, कोकराझार-गेलेफू (69 किमी) और बानरहाट-समत्से (20 किमी) तैयार किए जाएंगे। इसकी अनुमानित लागत 4,033.34 करोड़ रुपए मानी जा रही है।
भारत ने भूटान में कुल 3,156 मेगावाट की पांच प्रमुख जलविद्युत परियोजनाएं (एचईपी) विकसित की हैं, जिनमें 336 मेगावाट की चुखा जलविद्युत परियोजना, 60 मेगावाट की कुरिचु जलविद्युत परियोजना, 1,020 मेगावाट की ताला जलविद्युत परियोजना, 720 मेगावाट की मंगदेछु जलविद्युत परियोजना और हाल ही में (अगस्त 2025 में) पूरी हुई 1,020 मेगावाट की पुनात्सांगछु-II जलविद्युत परियोजना शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त फिनटेक, रुपे कार्ड और भीम यूपीआई भी भारत-भूटान व्यापारिक साझेदारी को बढ़ावा दे रहे हैं।