क्या प्रदीप भंडारी ने जयराम रमेश पर हमला करते हुए कहा, 'चुनाव हमारे लोकतंत्र की आत्मा है'?

सारांश
Key Takeaways
- चुनाव लोकतंत्र की आत्मा है।
- राहुल गांधी के आरोपों को खारिज किया गया।
- चुनाव आयोग के नियम और प्रक्रियाएं स्पष्ट हैं।
- मतदाता के अधिकारों की रक्षा आवश्यक है।
- कानूनी जांच में सबूत की जरूरत है।
नई दिल्ली, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। जयराम रमेश के चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर दिए गए बयान का जवाब देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि चुनाव हमारे लोकतंत्र की आत्मा हैं।
भंडारी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए कहा कि जयराम, चुनाव हमारे लोकतंत्र की आत्मा हैं। आपके नेता राहुल गांधी झूठ बोलकर उस भरोसे को तोड़ना चाहते हैं। यदि उन्हें अपने आरोपों पर वास्तव में यकीन है, तो उन्हें शपथ पत्र दाखिल करना चाहिए। उन्हें किस बात का डर है कि कानूनी जांच के दौरान उनके झूठ का जाल खुल जाएगा?
उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा राहुल गांधी के झूठ पर प्रस्तुत किए गए तथ्यों के संदर्भ में कहा कि भारत निर्वाचन आयोग ने पहले ही स्पष्ट किया है कि शाम 6 बजे के बाद मतदान प्रतिशत का बढ़ना सामान्य है, क्योंकि यह आखिरी मतदाताओं की गिनती होती है। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है।
प्रदीप भंडारी ने कहा कि वार्षिक पुनरीक्षण केवल अनुपस्थित या स्थानांतरित मतदाताओं को ही अपडेट करता है। एसआईआर अधिकतम शुद्धिकरण सुनिश्चित करता है। लोग पलायन करते हैं, इसलिए चुनाव आयोग घर-घर जाकर सत्यापन करता है। कई गरीब नागरिकों के पास स्थायी घर नहीं होते, उनका पता बस वहीं है जहां वे सोते हैं। उन्हें फर्जी कहना गरीबों के साथ अन्याय है।
उन्होंने यह भी कहा कि क्या लाखों मतदाताओं को सिर्फ संदेह के आधार पर फर्जी करार दिया जा सकता है? चुनाव आयोग को सबूत चाहिए, अफवाह नहीं। हर मतदाता को नाम हटाने से पहले सबूत मांगने का अधिकार है। नियम 20(3) स्पष्ट है कि यदि आप उस निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता नहीं भी हैं, तब भी आप गवाह के तौर पर शिकायत कर सकते हैं, लेकिन आपको शपथ लेकर शिकायत दर्ज करानी होगी। यही कानून है।
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा था कि आज, भारत निर्वाचन आयोग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। यह पहली बार था जब यह 'नया' निर्वाचन आयोग सीधे तौर पर बोल रहा था, न कि सूत्रों के जरिए। उन्होंने पूछा कि क्या चुनाव आयोग बिहार एसआईआर प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट के 14 अगस्त, 2025 के आदेशों को अक्षरशः लागू करेगा? ऐसा करना संवैधानिक रूप से उसका कर्तव्य है। देश इंतजार कर रहा है और देख रहा है।