क्या आरएसएस ने हमेशा संविधान का सम्मान किया? : राम माधव

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क्या आरएसएस ने हमेशा संविधान का सम्मान किया? : राम माधव

सारांश

राम माधव ने आरएसएस पर लगे संविधान विरोधी आरोपों को खारिज किया और कांग्रेस के चुनाव आयोग पर आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने बताया कि आरएसएस ने संविधान को अपनाने के बाद से हमेशा इसका सम्मान किया है। जानें इस मुद्दे पर उनके विचार और कांग्रेस पर उनकी टिप्पणियां।

Key Takeaways

  • आरएसएस ने 1950 में संविधान के बाद से इसका सम्मान किया है।
  • कांग्रेस के द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं।
  • संघ का दृष्टिकोण राजनीतिक नहीं, बल्कि राष्ट्रहित में है।
  • कई कांग्रेसी नेता निजी तौर पर संघ की विचारधारा को मानते हैं।
  • संविधान के प्रति सम्मान का महत्वपूर्ण होना चाहिए।

भुवनेश्वर, 17 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। आरएसएस के प्रमुख नेता राम माधव ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर 'संविधान विरोधी' होने के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कांग्रेस द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों को निराधार बताया।

राम माधव ने एक कार्यक्रम में कहा कि आरएसएस ने 1950 में संविधान को अपनाने के बाद से हमेशा इसका सम्मान किया है। उन्होंने बताया कि जब संविधान को अपनाया गया था, तब तत्कालीन सरसंघचालक ने इसे हमारा संविधान बताया था और सभी नागरिकों से इसका सम्मान करने का अनुरोध किया था। वर्तमान सरसंघचालक ने भी कम से कम चार बार कहा है कि यह हमारा संविधान है और इसका सम्मान होना चाहिए।

माधव ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, "इसके बावजूद, संघ पर संविधान के खिलाफ होने के झूठे आरोप लगाए जाते हैं। कुछ नेता तो 'वोट चोरी' का आरोप लगाने की हद तक चले जाते हैं। यह क्या तर्क है? ओडिशा में आपका वोट प्रतिशत घटकर 13 प्रतिशत रह गया, क्या वह 'वोट चोरी' के कारण था? जब आप जीतते हैं, तो 'वोट चोरी' की बात नहीं होती, लेकिन जब आप हारते हैं, तो आप 'वोट चोरी' का आरोप लगाते हैं। कर्नाटक में भी, जब भाजपा एक सीट जीत गई, तब आपने 'वोट चोरी' का आरोप लगाया। ऐसे आरोप आरएसएस को बदनाम करने और चुनाव आयोग एवं भारत के संविधान की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के अलावा और कुछ नहीं हैं।

उन्होंने याद दिलाया कि संविधान निर्माण के दौरान भी कांग्रेस के भीतर मतभेद थे। माधव ने कहा, "कई कांग्रेस सदस्यों ने चिंता व्यक्त की थी कि गांधी के विचार संविधान में पर्याप्त रूप से नहीं शामिल किए गए, लेकिन एक बार जब इसे अपनाया गया, तो संघ ने इसे स्वीकार किया और इसका सम्मान करने का निर्णय लिया।

उन्होंने संगठन के गैर-राजनीतिक स्वरूप पर कहा कि आरएसएस राष्ट्रहित और देश की संस्थाओं के हित में काम करता है। यह कोई राजनीतिक संगठन नहीं है। हमारा दृष्टिकोण राष्ट्र के लिए है और हम उन सभी के साथ खड़े हैं जो देश के कल्याण के प्रति प्रतिबद्ध हैं।

माधव ने यह भी कहा कि कई कांग्रेसी नेता जो सार्वजनिक रूप से आरएसएस का विरोध करते हैं, निजी तौर पर इसकी विचारधारा की सराहना करते हैं। उन्होंने कहा कि अपने निजी अनुभव से मैं कह सकता हूं कि कांग्रेस के कई नेता जो संघ के आलोचक हैं, वास्तव में हमारे विचारों को समझते हैं और अक्सर उनका समर्थन करते हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि राम माधव का बयान आरएसएस की स्थिति को मजबूत करता है। संविधान के प्रति सम्मान और उसकी रक्षा के लिए संघ का दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है। राजनीतिक आरोपों के पीछे का कारण भी समझना आवश्यक है।
NationPress
17/08/2025

Frequently Asked Questions

आरएसएस पर संविधान विरोधी आरोप क्यों लगाए जाते हैं?
आरएसएस पर संविधान विरोधी आरोप मुख्य रूप से राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और चुनावी हार के कारण लगाए जाते हैं।
क्या राम माधव ने आरएसएस का पक्ष लिया?
हां, राम माधव ने आरएसएस का पक्ष लेते हुए कहा कि संघ ने हमेशा संविधान का सम्मान किया है।
आरएसएस का राजनीतिक स्वरूप क्या है?
आरएसएस एक गैर-राजनीतिक संगठन है जो राष्ट्रहित और देश की संस्थाओं के लिए काम करता है।
क्या कांग्रेस के नेता आरएसएस की विचारधारा को मानते हैं?
राम माधव ने कहा कि कई कांग्रेसी नेता निजी तौर पर आरएसएस की विचारधारा की सराहना करते हैं।
संविधान को अपनाने के बाद आरएसएस ने क्या किया?
आरएसएस ने संविधान को अपनाने के बाद हमेशा इसका सम्मान किया और इसे स्वीकार किया।