क्या आज जब हालात सामान्य हो रहे हैं, तो प्रधानमंत्री मणिपुर जा रहे हैं?

सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी का मणिपुर दौरा राजनीतिक प्रश्न बन चुका है।
- विजय वडेट्टीवार ने इस दौरे की तीखी आलोचना की।
- मणिपुर में हिंसा के समय प्रधानमंत्री का ध्यान नहीं देना चिंता का विषय है।
- ओबीसी की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा सकते हैं।
- सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
मुंबई, १३ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने प्रधानमंत्री मोदी के मणिपुर दौरे की तीखी आलोचना की।
विजय वडेट्टीवार ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि जब मणिपुर में हिंसा अपने चरम पर थी और वहां के लोग कई समस्याओं का सामना कर रहे थे, तब प्रधानमंत्री ने वहां जाने की जरूरत नहीं समझी। अब जब स्थिति सामान्य हो रही है, तब वे वहां जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मणिपुर की जातीय हिंसा में लगभग २५० से अधिक लोग मारे गए और कई महिलाओं की इज़्ज़त लूटी गई। दुख की बात है कि तब प्रधानमंत्री ने वहां के लोगों की चिंता नहीं की। जब मणिपुर को उनकी आवश्यकता थी, तब उन्होंने इसे नजरअंदाज किया। अब जब स्थिति ठीक हो रही है, तो उनका वहां जाना क्या दर्शाता है?
इसके अलावा, कांग्रेस नेता ने नागपुर में ओबीसी की बैठक पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि आज नागपुर में ओबीसी की बैठक हो रही है, जिसमें हम महत्वपूर्ण फैसले ले सकते हैं। हमने सभी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है। ओबीसी आरक्षण में हस्तक्षेप निंदनीय है। वहीं, मराठा समुदाय को आरक्षण देने की कोशिश की जा रही है, जबकि ओबीसी समुदाय को आश्वासन दिया जा रहा है कि उनके हितों पर कोई आघात नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि दो रोटियां हैं, लेकिन खाने वाले पांच हैं। ऐसे में सरकार क्या हासिल करना चाहती है? मौजूदा समय में रेवड़ी बांटी जा रही हैं, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। हमारे पास कई नेताओं के नाम हैं जो ओबीसी का प्रमाणपत्र लेकर घूम रहे हैं।
छगन भुजबल ने कहा कि मराठा आरक्षण का निर्णय दबाव में लिया गया। इस मामले में सवाल पूछे जाने पर विजय वडेट्टीवार ने कहा कि यदि छगन भुजबल यह दावा कर रहे हैं, तो निश्चित तौर पर उनके पास इसके लिए स्रोत होंगे, और उन्हें अब अपने स्रोत का खुलासा करना चाहिए।
उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले मैच पर भी अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह हैरान करने वाली बात है कि एक ओर केंद्र सरकार ऑपरेशन सिंदूर की बात करती है, वहीं दूसरी ओर ये लोग भारत और पाकिस्तान के बीच मैच कराने की बात कर रहे हैं। इससे स्पष्ट होता है कि इस सरकार की विश्वसनीयता पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है। उनकी बातें और कार्य अलग हैं।