क्या प्रधानमंत्री मोदी ने कोमाराम भीम को याद किया? युवाओं से बोले- संघर्ष से प्रेरणा लें

Click to start listening
क्या प्रधानमंत्री मोदी ने कोमाराम भीम को याद किया? युवाओं से बोले- संघर्ष से प्रेरणा लें

सारांश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में महान क्रांतिकारी कोमाराम भीम की याद की। उन्होंने युवाओं से उनके संघर्ष के बारे में जानने और प्रेरणा लेने का आग्रह किया। कोमाराम भीम ने 20वीं सदी में अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया और अपनी रणनीतिक कुशलता के लिए प्रसिद्ध रहे।

Key Takeaways

  • कोमाराम भीम का जीवन संघर्ष और साहस का प्रतीक है।
  • प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं से उनकी विरासत को जानने का आग्रह किया।
  • आदिवासी अधिकारों के लिए उनकी लड़ाई आज भी प्रासंगिक है।
  • कोमाराम भीम ने अन्याय के खिलाफ खड़ा होकर प्रेरणा दी।
  • उनकी रणनीतिक कुशलता ने उन्हें एक बड़ा नेता बनाया।

नई दिल्ली, 26 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महान क्रांतिकारी और आदिवासी नेता कोमाराम भीम को स्मरण किया है। 'मन की बात' कार्यक्रम के दौरान उन्होंने देश के युवाओं से अपील की कि वे उनके बारे में गहन अध्ययन करें।

प्रधानमंत्री मोदी ने 20वीं सदी के आरंभिक काल की चर्चा करते हुए बताया कि उस समय ब्रिटिश शासन और हैदराबाद के निजाम का अत्याचार चरम पर था। केवल 20 वर्ष की आयु में कोमाराम भीम ने अन्याय के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष शुरू किया।

उन्होंने कहा, "20वीं सदी के प्रारंभिक चरण में, जब स्वतंत्रता की कोई आशा नहीं थी। पूरे भारत में अंग्रेजों का शोषण अपने चरम पर था और हैदराबाद में देशभक्तों का दमन एक भयानक स्थिति थी। उस कठिन समय में एक युवा ने अन्याय के खिलाफ खड़ा होना चुना।"

प्रधानमंत्री ने आगे बताया कि उस समय, निजाम के खिलाफ एक शब्द कहना भी गुनाह था, लेकिन उस युवा ने सिद्दीकी नामक एक अधिकारी को खुली चुनौती दी थी। सिद्दीकी ने किसानों की फसलें जब्त करने के लिए भेजा था, लेकिन उस युवा ने उस अत्याचारी को मार डाला।

उन्होंने कहा, "कोमाराम भीम की आयु 40 वर्ष थी, लेकिन उन्होंने आदिवासी समाज सहित लाखों लोगों के दिलों में अमिट स्थान बनाया। वे अपनी रणनीतिक कुशलता के लिए जाने जाते थे और निजाम के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए। 1940 में उनके जीवन का अंत हो गया।"

कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा, "22 अक्टूबर को कोमाराम भीम की जन्म-जयंती मनाई गई। उन्होंने अपने जीवन में अनगिनत लोगों, विशेषकर आदिवासी समाज के दिलों में गहरी छाप छोड़ी। उन्होंने संघर्ष कर रहे लोगों में नई ऊर्जा भरी।"

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने युवाओं से कहा, "मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप उनके बारे में और अधिक जानें और उनके संघर्ष से प्रेरणा लें।"

Point of View

यह स्पष्ट है कि कोमाराम भीम का संघर्ष हमें आज के समय में भी प्रेरित करता है। उनकी कहानी न केवल आदिवासी समुदाय की पहचान को उजागर करती है, बल्कि यह हमें सिखाती है कि अन्याय के खिलाफ खड़ा होना जरूरी है। हमें उनकी विरासत को आगे बढ़ाना चाहिए।
NationPress
13/12/2025

Frequently Asked Questions

कोमाराम भीम कौन थे?
कोमाराम भीम एक महान क्रांतिकारी और आदिवासी नेता थे जिन्होंने 20वीं सदी में अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कोमाराम भीम के बारे में क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने युवाओं से कोमाराम भीम के संघर्ष से प्रेरणा लेने का आग्रह किया।
कोमाराम भीम का संघर्ष क्यों महत्वपूर्ण है?
उनका संघर्ष आदिवासी अधिकारों और अन्याय के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक है।
कोमाराम भीम की हत्या कब हुई?
कोमाराम भीम की हत्या 1940 में हुई थी।
कोमाराम भीम का योगदान क्या था?
उन्होंने आदिवासी समाज के लिए संघर्ष किया और उनकी पहचान को मजबूती प्रदान की।
Nation Press