क्या प्रतिभा पाटिल ने भारतीय राजनीति में नया अध्याय रचा?

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क्या प्रतिभा पाटिल ने भारतीय राजनीति में नया अध्याय रचा?

सारांश

प्रतिभा पाटिल का राष्ट्रपति बनना न केवल भारतीय राजनीति का एक महत्वपूर्ण क्षण था, बल्कि यह महिलाओं के लिए एक प्रेरणा भी बनी। उनकी यात्रा ने लैंगिक समानता और सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। जानिए उनकी उपलब्धियों और योगदान के बारे में।

Key Takeaways

  • प्रतिभा पाटिल का राष्ट्रपति बनना भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है।
  • उनकी उपलब्धियों ने महिला सशक्तिकरण को नई दिशा दी।
  • उनका कार्यकाल सामाजिक कल्याण पर केंद्रित था।
  • प्रतिभा पाटिल का जीवन एक प्रेरणा है भारतीय महिलाओं के लिए।
  • उन्होंने कई महत्वपूर्ण पहल कीं जो समाज में बदलाव लाने में सहायक रहीं।

नई दिल्ली, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। 21 जुलाई 2007 का दिन भारतीय राजनीति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर बन गया। इसी दिन, प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल कर भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनने का सम्मान पाया। यह उपलब्धि न केवल लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम थी, बल्कि यह भारतीय समाज की प्रगतिशील सोच का भी प्रतीक बनी।

साधारण परिवार से निकलकर देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंचने वाली प्रतिभा पाटिल की यह कहानी भारतीय महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और अपने कार्यकाल (2007-2012) में कुशल प्रशासन, सामाजिक कार्यों में योगदान और महिलाओं के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए।

प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, प्रतिभा देवीसिंह पाटिल का जन्म 19 दिसंबर, 1934 को महाराष्ट्र के जलगांव जिले के नादगांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा जलगांव के आरआर विद्यालय से प्राप्त की और बाद में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, मुंबई से एलएलबी किया।

27 वर्ष की आयु में, उन्होंने जलगांव विधानसभा क्षेत्र से महाराष्ट्र विधानमंडल के लिए पहला चुनाव जीता। इसके बाद, वे 1962 से 1985 तक मुक्ताई नगर से लगातार चार बार विधायक चुनी गईं। 1985 से 1990 तक वे राज्यसभा की सदस्य रहीं। 1991 में अमरावती से दसवीं लोकसभा के लिए सांसद बनीं। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में कभी भी चुनावी हार का सामना नहीं किया, जो एक अद्वितीय रिकॉर्ड है।

2007 में, यूपीए गठबंधन ने प्रतिभा पाटिल को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया। 21 जुलाई 2007 को हुए चुनाव में, उन्होंने एनडीए के उम्मीदवार भैरोंसिंह शेखावत को हराकर जीत हासिल की। राष्ट्रपति बनने से पहले, वे 8 नवंबर, 2004 से 21 जून, 2007 तक राजस्थान की राज्यपाल थीं। 25 जुलाई 2007 को उन्होंने भारत की 12वीं राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली, जो भारतीय इतिहास में किसी महिला के लिए पहला सम्मान था। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने सामाजिक समावेश, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण पहल कीं।

प्रतिभा पाटिल ने अपने कार्यकाल में सामाजिक कल्याण और महिला सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास स्थापित करने में योगदान दिया और कई दया याचिकाओं पर निर्णय लिए, जिनमें से कई को मंजूरी मिली।

सुनैना सिंह की किताब 'रीइन्वेंटिंग लीडरशिप: प्रतिभा देवीसिंह पाटिल' और रमेश चंद्र-नीला गोखले की किताब 'फर्स्ट वूमेन प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया: प्रतिभा पाटिल' में उनके जीवन और राष्ट्रपति कार्यकाल के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।

1 जून 2019 को, उन्हें मेक्सिको के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डेन मेक्सिकाना डेल एग्वेला एज्टेका’ (ऑर्डर ऑफ एज़्टेक ईगल) से सम्मानित किया गया। यह सम्मान पाने वाली वे दूसरी भारतीय राष्ट्रपति बनीं। इससे पहले यह सम्मान पूर्व राष्ट्रपति एस. राधाकृष्णन को मिला था। उनके सामाजिक और राजनीतिक योगदान को देश-विदेश में भी बहुत सराहा गया।

Point of View

बल्कि सामाजिक समावेशिता को आगे बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह दृष्टिकोण न केवल देश के विकास के लिए आवश्यक है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को भी समृद्ध करता है।
NationPress
20/07/2025

Frequently Asked Questions

प्रतिभा पाटिल का जन्म कब हुआ था?
प्रतिभा पाटिल का जन्म 19 दिसंबर, 1934 को हुआ था।
प्रतिभा पाटिल ने कब राष्ट्रपति पद की शपथ ली?
प्रतिभा पाटिल ने 25 जुलाई 2007 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली।
प्रतिभा पाटिल ने कितने समय तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया?
उन्होंने 2007 से 2012 तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।
प्रतिभा पाटिल को कौन सा सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिला?
उन्हें मेक्सिको के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ऑर्डेन मेक्सिकाना डेल एग्वेला एज्टेका’ से सम्मानित किया गया।
प्रतिभा पाटिल का राजनीतिक करियर कैसा रहा?
उनका राजनीतिक करियर बेदाग रहा है, उन्होंने कभी चुनावी हार का सामना नहीं किया।