प्रयागराज में माघ मेला का लोगो कब जारी हुआ है?

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प्रयागराज में माघ मेला का लोगो कब जारी हुआ है?

सारांश

प्रयागराज में माघ मेले की तैयारी जोरों पर है। 2026 में होने वाले माघ मेले का लोगो जारी किया गया है। जानिए इसके विशेषताओं के बारे में।

Key Takeaways

  • माघ मेला 2026 में प्रयागराज में होगा।
  • लोगो में तप, अनुष्ठान और कल्पवास के दर्शन प्रदर्शित किए गए हैं।
  • माघ मेले में करोड़ों श्रद्धालु मां गंगा में स्नान करते हैं।
  • यह मेले का लोगो पहली बार सीएम योगी द्वारा जारी किया गया है।
  • प्रयागराज का अक्षयवट मोक्ष की प्राप्ति का स्थल माना जाता है।

लखनऊ, ११ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। साल २०२६ में प्रयागराज में होने वाले माघ मेले की तैयारी जोरों पर है। सरकार ने इसके लिए व्यापक योजनाएं बनाई हैं और वरिष्ठ अधिकारी लगातार तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं। हाल ही में माघ मेले का लोगो जारी किया गया है।

उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि माघ मेला एक विशाल आध्यात्मिक और धार्मिक उत्सव है। इस अवसर पर करोड़ों श्रद्धालु मां गंगा में स्नान करके पुण्य अर्जित करते हैं। उन्होंने बताया कि माघ मेला के प्रतीक चिन्ह में तप, अनुष्ठान और कल्पवास के महत्वपूर्ण तत्व प्रस्तुत किए गए हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर माघ मेला का लोगो साझा करते हुए भूपेंद्र चौधरी ने कहा कि गंगा, यमुना, और अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर हर साल लगने वाला माघ मेला एक भव्य आध्यात्मिक पर्व है। इसमें करोड़ों श्रद्धालु मां गंगा में स्नान कर पुण्य प्राप्त करते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि माघ मेला के प्रतीक चिन्ह में तप, अनुष्ठान और कल्पवास की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। मां गंगा की कृपा से यह पावन माघ मेला सभी के जीवन को सुख, समृद्धि और आरोग्यता से परिपूर्ण करे, यह मेरी प्रार्थना है।

प्रयागराज के जिलाधिकारी ने बताया कि माघ मेले के इतिहास में पहली बार इस मेले के दर्शन-तत्व को दर्शाते हुए सीएम योगी के स्तर से माघ मेले का लोगो जारी किया गया है। यह लोगो तीर्थराज प्रयाग, संगम की तपोभूमि और ज्योतिषीय गणना के अनुसार माघ मास में संगम पर अनुष्ठान की महत्ता को प्रस्तुत करता है।

लोगो में सूर्य और चंद्रमा की १४ कलाओं की उपस्थिति, ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य, चंद्रमा और नक्षत्रों की स्थितियों को दर्शाती है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा २७ नक्षत्रों की परिक्रमा लगभग २७.३ दिनों में करता है। माघ मेला इन्हीं नक्षत्रीय गतियों के अनुसार आयोजित होता है। जब सूर्य मकर राशि में होता है और पूर्णिमा के दिन चंद्रमा माघी या अश्लेषा–पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्रों के समीप होता है, तब माघ मास आता है और उसी समय माघ मेला आयोजित होता है।

चंद्रमा की १४ कलाओं का संबंध मानव जीवन, मनोवैज्ञानिक ऊर्जा, और आध्यात्मिक साधना से माना जाता है। माघ मेला चंद्र-ऊर्जा के सक्रिय होने का विशेष समय भी है। प्रयागराज का अविनाशी अक्षयवट, जिसके जड़ों में भगवान ब्रह्मा, तने में भगवान विष्णु और शाखाओं में भगवान शिव का निवास माना जाता है, के दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि कल्पवासियों के लिए इसका स्थान विशेष है।

सनातन धर्म के अनुसार मानव जीवन का सर्वोच्च लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है। इसीलिए लोगो में महात्मा का चित्र इस देवभूमि की परंपरा को दर्शाता है, जहाँ ऋषि-मुनि सदियों से आध्यात्मिक ऊर्जा की साधना के लिए आते रहे हैं।

माघ मास में किए गए पूजन और कल्पवास का फल संगम स्नान के बाद श्री लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन से मिलता है। इसलिए लोगो पर उनका मंदिर और पताका की उपस्थिति माघ मेले के तप और साधना की पूर्णता को दर्शाती है। संगम पर साइबेरियन पक्षियों की उपस्थिति यहां के पर्यावरण की विशेषता को दर्शाती है।

Point of View

बल्कि श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष अनुभव भी प्रदान करता है।
NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

माघ मेला कब होता है?
माघ मेला हर साल माघ मास में होता है, जो जनवरी-फरवरी के बीच आता है।
इस वर्ष माघ मेले का लोगो किसने जारी किया?
माघ मेले का लोगो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्तर से जारी किया गया।
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