क्या सावन में महिलाओं की अटूट साधना दशाश्वमेध घाट से सोमेश्वर महादेव तक पैदल यात्रा है?

सारांश
Key Takeaways
- महिला कांवड़ियों का उत्साह अद्भुत है।
- दशाश्वमेध घाट से सोमेश्वर महादेव तक की यात्रा भक्ति का प्रतीक है।
- गंगाजल भरना और जलाभिषेक करना धार्मिक आस्था का हिस्सा है।
- सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए विशेष माना जाता है।
- कांवड़ यात्रा समाज में एकता और भक्ति का संदेश देती है।
प्रयागराज, 19 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। सावन के इस पवित्र महीने में प्रयागराज के दारागंज स्थित दशाश्वमेध घाट पर कांवड़ियों का उत्साह अद्भुत है। हर दिन सैकड़ों कांवड़ियां यहां से गंगाजल भरकर विभिन्न शिवधामों की ओर प्रस्थान कर रही हैं। कोई काशी विश्वनाथ, कोई बाबा बैद्यनाथ धाम, तो कोई अन्य शिव मंदिरों में जलाभिषेक करने जा रहा है। इस बार सावन में महिला कांवड़ियों ने भी जोरदार तरीके से कांवड़ यात्रा की शुरुआत की है।
शनिवार को दशाश्वमेध घाट पर बड़ी संख्या में महिलाएं एकत्रित हुईं और गंगाजल से भरी कांवड़ लेकर 'बोल बम-बोल बम' के जयकारों के साथ सोमेश्वर महादेव मंदिर की ओर पैदल यात्रा शुरू की। इन महिला कांवड़ियों में युवतियों से लेकर बुजुर्ग महिलाओं तक शामिल थीं।
महिला कांवड़ियों ने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस को बताया कि वे हर साल सावन में दशाश्वमेध घाट से गंगाजल भरकर सोमेश्वर महादेव मंदिर में जलाभिषेक करती हैं। यह यात्रा भगवान शिव के प्रति उनकी श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है।
कांवड़िया सुष्मिता शर्मा ने कहा कि हम स्थानीय लोग हैं और हर साल दशाश्वमेध घाट से गंगाजल लेकर सोमेश्वर महादेव मंदिर जाते हैं। पैदल यात्रा के साथ जल चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और हमारे घर-परिवार को सुख-समृद्धि मिलती है। यह हमारी भक्ति और समर्पण का हिस्सा है।
युवा कांवड़िया माही ने कहा कि यह मेरा पहला मौका है जब मैं बाबा सोमेश्वर नाथ के लिए कांवड़ लेकर जा रही हूं। मैं बहुत उत्साहित हूं और भगवान शिव के प्रति मेरी श्रद्धा को व्यक्त करने का यह खास अवसर है। माही ने आगे कहा कि इस यात्रा में शामिल होने से उन्हें भक्ति का अनुभव हो रहा है।
चाका नैनी से आईं एक बुजुर्ग महिला कांवड़िया ने कहा कि गंगा जी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, फिर भी हम दशाश्वमेध घाट से जल भरकर सोमेश्वर महादेव को चढ़ाने जा रहे हैं। हमारी कामना है कि हमारे घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहे और देश-विश्व का कल्याण हो। जन कल्याण की भावना के साथ हम यह जलाभिषेक करने जा रहे हैं।
गौरतलब है कि सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए विशेष माना जाता है। इस दौरान कांवड़ यात्रा का आयोजन पूरे देश में उत्साहपूर्वक किया जाता है। प्रयागराज में दशाश्वमेध घाट गंगा के किनारे होने के कारण कांवड़ियों के लिए महत्वपूर्ण स्थल है। यहां से जल भरकर कांवड़िए विभिन्न शिव मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं, जिसे शिव भक्ति का प्रतीक माना जाता है।