क्या भाजपा की सहयोगी दलों को कमजोर करना प्रियंका चतुर्वेदी की सही व्याख्या है?

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क्या भाजपा की सहयोगी दलों को कमजोर करना प्रियंका चतुर्वेदी की सही व्याख्या है?

सारांश

प्रियंका चतुर्वेदी ने भाजपा की सहयोगी दलों के प्रति नीति और विदेश नीति पर कड़ी टिप्पणी की है। क्या भाजपा वास्तव में सहयोगी दलों को कमजोर करने की रणनीति अपना रही है? जानें इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर उनका दृष्टिकोण।

Key Takeaways

  • भाजपा की सहयोगी दलों को कमजोर करने की रणनीति पर सवाल उठाए गए।
  • विदेश नीति में इजरायल-पैलिस्टीन के संबंधों का उल्लेख।
  • महिलाओं पर तालिबान शासन की पाबंदियाँ चिंता का विषय।
  • मतदाता सूची में हेरफेर के आरोप।
  • सहयोगी दलों के साथ राजनीतिक रणनीति का विश्लेषण।

मुंबई, 10 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सहयोगी दलों के प्रति नीति और भारत की विदेश नीति पर कड़ी आलोचना की।

उन्होंने कहा कि बिहार में हाल की राजनीतिक घटनाओं को भाजपा की पुरानी रणनीति का हिस्सा मानते हुए, बताया कि भाजपा पहले सहयोगी दलों को सशक्त करती है और फिर उन्हें कमजोर करके समाप्त कर देती है। महाराष्ट्र में शिवसेना को सत्ता से हटाने के बाद संविधान की अनदेखी कर तोड़फोड़ की गई, जो 25 वर्षों तक भाजपा की सहयोगी रही। यही तरीका भाजपा ने रामविलास पासवान की पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के साथ भी अपनाया। भाजपा का उद्देश्य सहयोग नहीं, बल्कि वर्चस्व स्थापित करना है।

उन्होंने एसआईआर के मुद्दे पर बात करते हुए मतदाता सूची में हेरफेर के आरोप लगाए। उनका कहना था कि जिस तरह एसआईआर लागू की गई और सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचा, उससे यह स्पष्ट होता है कि विपक्ष समर्थक वोटर्स को रणनीतिक रूप से हटाया जा रहा है। महाराष्ट्र में भी बिना नाम लिए मतदाताओं की जोड़तोड़ की गई, जिसके खिलाफ अब भी लड़ाई जारी है। ऐसी स्थितियां ओडिशा, हरियाणा और दिल्ली में भी देखी गईं, जहाँ बीजेडी और आम आदमी पार्टी ने इसका अनुभव किया। यदि यही प्रक्रिया पश्चिम बंगाल में भी अपनाई जा रही है, तो यह एक सुनियोजित साजिश लगती है और आयोग की भूमिका पर प्रश्न खड़े करती है।

विदेश नीति पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि भारत के पास इजरायल और फिलीस्तीन दोनों के साथ राजनयिक संबंध हैं। पश्चिम एशिया में पिछले दो वर्षों से चल रहे संघर्ष के बीच यदि अब शांति समझौते की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं, तो यह स्वागत योग्य है।

उन्होंने कहा कि इजरायल की हर कार्रवाई का मूल्यांकन अंतरराष्ट्रीय संस्थानों जैसे इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ लॉ और संयुक्त राष्ट्र द्वारा होना चाहिए। भारत ने हमेशा गाजा के लोगों को चिकित्सा और खाद्य सहायता प्रदान की है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस शांति प्रयास पर भी नकारात्मक माहौल बनाया जा रहा है।

अफगानिस्तान के साथ भारत के संबंधों पर सांसद ने बताया कि भारत और अफगानिस्तान के संबंध लंबे, गहरे और सहयोगपूर्ण रहे हैं। कठिन परिस्थितियों में भी भारत ने अफगानिस्तान की जनता की मदद की है, यहाँ तक कि उनकी क्रिकेट टीम को भी समर्थन दिया। लेकिन, तालिबान शासन के तहत महिलाओं पर लगाई गई पाबंदियाँ चिंताजनक हैं। यह सरकार देश को फिर से पिछड़ी सोच की ओर ले जा रही है।

उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र, संविधान और समानता के सिद्धांतों पर आधारित है, इसलिए यह विचार करना ज़रूरी है कि क्या ऐसे शासन के साथ स्थायी सहयोग संभव है, जहां महिला सशक्तीकरण की अनदेखी हो रही है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि राजनीतिक रणनीतियाँ और उनकी परिणाम संभावनाएँ हमेशा जटिल होती हैं। देश की भलाई के लिए सभी दलों को एकजुट होकर काम करना चाहिए।
NationPress
10/10/2025

Frequently Asked Questions

प्रियंका चतुर्वेदी ने भाजपा के खिलाफ क्या आरोप लगाए?
प्रियंका चतुर्वेदी ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह सहयोगी दलों को सशक्त करने के बाद उन्हें कमजोर कर समाप्त कर देती है।
भारत की विदेश नीति के बारे में प्रियंका चतुर्वेदी का क्या कहना है?
उन्होंने बताया कि भारत के इजरायल और फिलीस्तीन दोनों के साथ राजनयिक संबंध हैं और शांति समझौते को स्वागत योग्य बताया।
भाजपा की सहयोगी दलों के साथ क्या रणनीति है?
भाजपा का उद्देश्य सहयोग नहीं, बल्कि अपने वर्चस्व को स्थापित करना है।
भारत और अफगानिस्तान के संबंधों पर प्रियंका का दृष्टिकोण क्या है?
उन्होंने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के संबंध गहरे और सहयोगपूर्ण रहे हैं, लेकिन तालिबान शासन के तहत महिलाओं पर पाबंदियाँ चिंताजनक हैं।
क्या एसआईआर के लागू होने पर प्रियंका ने क्या आरोप लगाए?
उन्होंने मतदाता सूची में हेरफेर के आरोप लगाए और कहा कि विपक्ष समर्थक वोटर्स को रणनीतिक रूप से हटाया जा रहा है।