क्या प्रियंका चतुर्वेदी ने दूरसंचार मंत्री को घेरा?
सारांश
Key Takeaways
- प्रियंका चतुर्वेदी ने दूरसंचार मंत्री को नोटिफिकेशन पढ़ने की सलाह दी।
- संचार साथी ऐप का प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्य होगा।
- सरकार का दावा है कि यह कदम सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
- विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है।
- निष्क्रियता पर टेलीकॉम एक्ट 2023 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
नई दिल्ली, 2 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना (यूबीटी) की नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने दूरसंचार मंत्रालय के संचार साथी ऐप से संबंधित नोटिफिकेशन पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने दूरसंचार मंत्री पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें संपूर्ण नोटिफिकेशन का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना चाहिए, क्योंकि यह कहना कि बेवजह विवाद उत्पन्न किया जा रहा है, सही नहीं है.
प्रियंका चतुर्वेदी ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, "मैं दूरसंचार मंत्री से निवेदन करती हूं कि नोटिफिकेशन को पढ़ें। पृष्ठ 2, बिंदु 7(बी) स्पष्ट रूप से बताता है कि ऐप की कोई भी कार्यक्षमता न तो बंद की जाएगी और न ही उसे सीमित किया जाएगा।"
उनका इशारा सरकार द्वारा मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप की अनिवार्य प्री-इंस्टॉलेशन नीति पर था, जिसके कारण यह मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है।
भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने नवंबर 2025 में एक व्यापक नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें मोबाइल फोन निर्माताओं और आयातकों के लिए कई दिशानिर्देश अनिवार्य किए गए हैं।
नोटिफिकेशन के अनुसार, आईएमईआई में छेड़छाड़ पर कड़ा प्रतिबंध है। नए टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी नियम 2024 के तहत कोई भी व्यक्ति जो मोबाइल के आईएमईआई नंबर को बदलने, मिटाने या नकली आईएमईआई वाले उपकरणों की आपूर्ति/धारण करने का दोषी पाया जाता है, उस पर कार्रवाई की जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर सरकार मोबाइल निर्माताओं को ऐसे उपकरणों की जांच में सहायता का निर्देश दे सकती है।
नोटिफिकेशन के बिंदु 7 के अंतर्गत, दूरसंचार विभाग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। नोटिफिकेशन जारी होने के 90 दिनों के भीतर भारत में उपयोग के लिए बनाए या आयात किए गए सभी मोबाइल फोन में संचार साथी ऐप का प्री-इंस्टॉलेशन अनिवार्य होगा।
यह ऐप उपयोगकर्ता को पहली बार फोन चालू करते समय दिखना चाहिए और इसकी कार्यक्षमता को न तो रोका जा सकता है, न ही बंद किया जा सकता है।
इसी बिंदु के आधार पर प्रियंका चतुर्वेदी ने मंत्रालय के दावे पर सवाल उठाए हैं।
वहीं, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि संचार साथी एक जासूसी ऐप है। नागरिकों को प्राइवेसी का अधिकार है। केंद्र सरकार इस देश को हर तरह से तानाशाही में बदल रही है। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी मुद्दे पर चर्चा करने से मना कर रही है। इसलिए सदन नहीं चल रही है।
कई विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह कदम उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन है। जबरन ऐप का इंस्टॉलेशन निजता को प्रभावित कर सकता है। वहीं सरकार का दावा है कि यह कदम पूरी तरह से सुरक्षा के लिए है और कोई भी कार्य बाध्यकारी नहीं है। इस मुद्दे पर संसद और सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है।
बता दें कि नोटिफिकेशन में पहले से बने और बाजार में मौजूद फोन में भी कंपनियों को सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए ऐप को पुश करने का प्रयास करना होगा।
दूरसंचार विभाग का कहना है कि संचार साथी ऐप उपभोक्ताओं को कई सुविधाएं देता है, जिसमें मोबाइल आईएमईआई की जांच, खोए/चोरी हुए मोबाइल की रिपोर्ट, आईएमईआई में छेड़छाड़ की जानकारी देना और साइबर सुरक्षा में सहायता करना शामिल है।
सरकार का दावा है कि नकली आईएमईआई वाले फोन टेलीकॉम साइबर सिक्योरिटी के लिए बड़ा खतरा हैं, इसलिए यह कदम आवश्यक है।
सभी मोबाइल निर्माताओं और आयातकों को 120 दिनों के भीतर डॉट को अनुपालन रिपोर्ट सौंपनी होगी। यदि निर्देशों का पालन नहीं हुआ, तो टेलीकॉम एक्ट 2023 और साइबर सिक्योरिटी रूल्स 2024 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि, केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मंगलवार को कहा कि यह ऐप अनिवार्य नहीं है और उपयोगकर्ता चाहें तो इसे अपने मोबाइल से आसानी से हटा सकते हैं या फिर पंजीकरण कर उपयोग कर सकते हैं।