क्या चुनाव सुधार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, इस पर चर्चा होनी चाहिए: प्रियंका चतुर्वेदी?

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क्या चुनाव सुधार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, इस पर चर्चा होनी चाहिए: प्रियंका चतुर्वेदी?

सारांश

क्या चुनाव सुधार आज के समय में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है? प्रियंका चतुर्वेदी ने संसद में इस पर जोर दिया है, जिसमें उन्होंने मतदाता सूची के पुनरीक्षण और वंदे मातरम पर रोक का मुद्दा उठाया। जानिए प्रियंका चतुर्वेदी के विचार और सरकार की जिम्मेदारी।

Key Takeaways

  • चुनाव सुधार
  • 40 से अधिक बीएलओ ने अपनी जान गंवाई है।
  • वंदे मातरम पर रोक को वापस लेने की आवश्यकता है।
  • संचार साथी ऐप विवाद नागरिकों की पसंद को प्रभावित करता है।
  • राजनाथ सिंह का बयान ऐतिहासिक दृष्टिकोण को नजरअंदाज करता है।

नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस) संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार को अपने तीसरे दिन में है। विपक्ष ने सरकार पर मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर चर्चा से भागने का आरोप लगाया है। इस बीच, शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि सदन में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए।

प्रियंका चतुर्वेदी ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा, "सदन को चलना चाहिए और सभी जरूरी मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए। आज चुनाव सुधार एक जरूरी मुद्दा है। 40 से अधिक बीएलओ ने अपनी जान गंवाई है। इस पर चर्चा आवश्यक है। वंदे मातरम हमारे देश के इतिहास में गहराई से जुड़ा है और देश की आत्मा है। इसके 150 सालों पर भी चर्चा होनी चाहिए। हम चाहते थे कि चर्चा सही क्रम में, एक के बाद एक हो। राज्यसभा के एक सर्कुलर के माध्यम से 'वंदे मातरम' कहने पर भी रोक लगा दी गई है। इस सर्कुलर को वापस लेने की हमारी बार-बार मांग के बावजूद इसे वापस नहीं लिया गया है।"

संचार साथी ऐप विवाद पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "टेलीकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट का जारी किया गया नोटिफिकेशन बहुत स्पष्ट था कि इस ऐप को आयात किए गए मोबाइल फोन के साथ-साथ भारत में बने फोन पर भी प्री-लोड करना होगा। प्री-लोडिंग नागरिकों की पसंद नहीं है। जब आप फोन खरीदने जाते हैं, तो ऐप डाउनलोड करना या डिलीट करना आपकी व्यक्तिगत पसंद है, लेकिन प्री-लोडेड ऐप नहीं।"

उन्होंने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के नेहरू पर हालिया बयान पर कहा, "मुझे नहीं पता कि राजनाथ सिंह इतिहास की कौन सी किताबें पढ़ते हैं, लेकिन हम 2025 में हैं। जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री थे और उन्होंने लंबे समय तक देश की सेवा की। इस दौरान उन्होंने देश को उस समय दिशा और विजन दिया जब अंग्रेज अभी-अभी गए थे, गरीबी फैली हुई थी और देश का भविष्य तय करना था।"

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी के 'जिहाद' वाले बयान पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "मैं फिर से कहती हूं कि एक सोची-समझी रणनीति अपनाई जा रही है। जब भारतीय जनता पार्टी और उसकी बी टीम के स्पीकर कुछ मुद्दे उठाते हैं, तो एक तरफ राजनाथ सिंह बाबरी मस्जिद के बारे में बोलते हैं और दूसरी तरफ महमूद मदनी जिहाद के बारे में बात करते हैं। फिर से हिंदू-मुस्लिम नैरेटिव को आगे बढ़ाने की कोशिश की जाती है। यह देश के असली मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए किया जाता है, चाहे वह भ्रष्टाचार, आतंकी हमला या सुरक्षा का सवाल हो।"

प्रधानमंत्री कार्यालय का नाम बदलकर सेवा तीर्थ करने पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "ऑफिस को अच्छा काम करने पर ध्यान देना चाहिए। यह जिम्मेदारी का पद है और इसे संभालने वालों के लिए जिम्मेदारी अपने आप में एक तरह का तीर्थ है। जनता के लिए, यह भरोसे को दिखाता है और उस भरोसे को नहीं तोड़ा जाना चाहिए। वोटरों के भरोसे को नहीं तोड़ा जाना चाहिए। यह आपका काम है जो यह सुनिश्चित करता है कि आपका नाम इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो।"

Point of View

यह कहना उचित है कि चुनाव सुधार पर चर्चा आवश्यक है। यह न केवल लोकतंत्र की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि जनता की भागीदारी को भी बढ़ावा देता है। ऐसे मुद्दों पर खुली चर्चा से ही समाज में जागरूकता आएगी।
NationPress
08/12/2025

Frequently Asked Questions

प्रियंका चतुर्वेदी ने कौन से मुद्दे उठाए?
प्रियंका चतुर्वेदी ने चुनाव सुधार, मतदाता सूची में पुनरीक्षण और वंदे मातरम पर चर्चा की।
संसद में चर्चा क्यों जरूरी है?
संसद में चर्चा से लोकतंत्र को मजबूती मिलती है और जनता की आवाज सुनी जाती है।
क्या वंदे मातरम पर रोक लगाई गई है?
हाँ, राज्यसभा के एक सर्कुलर के माध्यम से 'वंदे मातरम' कहने पर रोक लगाई गई है।
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