क्या पुणे में आरटीआई से औरंगजेब के मकबरे के रखरखाव पर खर्च में इजाफा हुआ?

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क्या पुणे में आरटीआई से औरंगजेब के मकबरे के रखरखाव पर खर्च में इजाफा हुआ?

सारांश

पुणे के प्रफुल्ल सारदा द्वारा दायर आरटीआई ने औरंगजेब के मकबरे के रखरखाव पर खर्च में आश्चर्यजनक वृद्धि का खुलासा किया है। यह आंकड़ा यूपीए शासन की तुलना में छह गुना अधिक है। इस लेख में जानें कि कैसे यह खर्च भारत की सांस्कृतिक प्राथमिकताओं पर सवाल उठाता है।

Key Takeaways

  • आरटीआई से खुलासा हुआ कि औरंगजेब के मकबरे पर खर्च बढ़ा है।
  • खर्च में यूपीए शासन की तुलना में छह गुना वृद्धि हुई है।
  • सरकार को मराठा विरासत को भी प्राथमिकता देनी चाहिए।
  • औरंगजेब का इतिहास विवादास्पद है।
  • प्रफुल्ल सारदा ने संसाधनों के आवंटन पर सवाल उठाया है।

पुणे, 5 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पुणे के उद्यमी और सामाजिक कार्यकर्ता प्रफुल्ल सारदा द्वारा दायर की गई एक आरटीआई में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

आरटीआई के माध्यम से यह जानकारी प्राप्त हुई है कि मुगल सम्राट औरंगजेब के मकबरे के रखरखाव और सुरक्षा पर 2014 से 2025 के बीच खर्च बढ़कर 12,24,104 रुपए हो गया है, जो यूपीए शासन (2004-2014) के मुकाबले छह गुना अधिक है।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, औरंगाबाद के निकट खुल्दाबाद में स्थित औरंगजेब के मकबरे के रखरखाव, सुरक्षा, नवीनीकरण और जीर्णोद्धार पर होने वाली लागत में वृद्धि देखी गई है, जिसे अब छत्रपति संभाजी नगर के नाम से जाना जाता है।

आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, सबसे कम खर्च 2005-06 में 1,395 रुपए था, जबकि 2024-25 में यह बढ़कर 5,35,988 रुपए तक पहुँच गया। यूपीए शासन (2004-2014) में इस मकबरे पर कुल 2,54,128 रुपए खर्च किए गए, जबकि एनडीए शासन (2014-2025) में यह राशि 12,24,104 रुपए तक पहुँच गई, जो कि छह गुना अधिक है।

प्रफुल्ल सारदा ने इस खुलासे को संसाधनों के आवंटन और भारत के स्मारकों के संरक्षण में बदलती प्राथमिकताओं पर सवाल उठाने वाला बताया।

उन्होंने कहा, "यह डेटा स्पष्ट करता है कि सरकार एक विवादास्पद मुगल सम्राट की विरासत को बनाए रखने के लिए भारी धन खर्च कर रही है, जबकि मराठा इतिहास और छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे नायकों से जुड़ी विरासत को नजरअंदाज किया जा रहा है।"

सारदा ने यह भी कहा कि औरंगजेब का शासन अपने दमनकारी नीतियों और धार्मिक असहिष्णुता के लिए जाना जाता है, जिसके कारण उनकी विरासत हमेशा विवादों में रही है। ऐसे में उनके मकबरे पर बढ़ते खर्च के आंकड़े चौंकाने वाले हैं।

सारदा ने यह सवाल उठाया कि जब छत्रपति शिवाजी महाराज और अन्य मराठा नेताओं द्वारा निर्मित किलों और ऐतिहासिक स्थलों का संरक्षण उपेक्षित है, तो सरकार एक क्रूर शासक के मकबरे पर इतना धन क्यों खर्च कर रही है?

उन्होंने सरकार से मांग की है कि वह मराठा विरासत को प्राथमिकता दे।

उन्होंने कहा, "छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठा नेताओं के किलों और स्मारकों का संरक्षण भारत की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने के लिए आवश्यक है, जो भारतीय स्वतंत्रता और सांस्कृतिक गौरव के प्रतीक हैं। करदाताओं का पैसा विवादास्पद हस्तियों के बजाय देश के सच्चे नायकों की विरासत को संरक्षित करने में लगना चाहिए।"

Point of View

यह आवश्यक है कि हम सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में संतुलन बनाए रखें। सरकार को न केवल विवादास्पद हस्तियों की विरासत में धन खर्च करना चाहिए, बल्कि सच्चे नायकों की सांस्कृतिक पहचान को भी प्राथमिकता देनी चाहिए।
NationPress
05/09/2025

Frequently Asked Questions

आरटीआई से क्या जानकारी मिली?
आरटीआई के माध्यम से यह जानकारी मिली है कि औरंगजेब के मकबरे के रखरखाव पर खर्च 2014 से 2025 के बीच छह गुना बढ़ गया है।
खर्च में इतनी वृद्धि का क्या कारण है?
खर्च में वृद्धि का कारण औरंगजेब के मकबरे के रखरखाव और सुरक्षा के लिए बढ़ती प्राथमिकताएँ हो सकती हैं।
प्रफुल्ल सारदा ने क्या कहा?
प्रफुल्ल सारदा ने कहा कि सरकार को मराठा विरासत को प्राथमिकता देनी चाहिए, न कि विवादास्पद हस्तियों की।
क्या यह खर्च उचित है?
यह सवाल उठता है कि क्या सरकार को विवादास्पद व्यक्तियों की विरासत पर इतना धन खर्च करना चाहिए।
औरंगजेब का शासन किस लिए जाना जाता है?
औरंगजेब का शासन अपने दमनकारी नीतियों और धार्मिक असहिष्णुता के लिए जाना जाता है।