क्या पंजाब-हरियाणा में विजयादशमी का उत्साह, जगह-जगह रावण दहन?

सारांश
Key Takeaways
- रावण दहन बुराइयों के अंत का प्रतीक है।
- समाज में फैली बुराइयों को समाप्त करना जरूरी है।
- राजनीतिक नेताओं का आचरण सुधारना आवश्यक है।
- इस पर्व पर शांति और भाईचारा का संदेश दिया जाता है।
- विजयादशमी पर आतिशबाजी का आयोजन होता है।
अमृतसर, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। हर साल की तरह, इस बार भी दुर्गियाना मंदिर के प्रांगण में रावण दहन का आयोजन धूमधाम से किया गया। इस अवसर पर कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला भी मौजूद रहे।
मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि रावण दहन केवल एक परंपरा नहीं है, यह हमें बुराइयों के अंत का संदेश देता है। उन्होंने बताया कि हमारे समाज में कई समस्याएं रावण जैसी बुराइयां हैं, जिन्हें खत्म करने की आवश्यकता है।
औजला ने कहा कि बुराई केवल रावण तक सीमित नहीं है। आजकल के समाज में भ्रष्टाचार, अहंकार, अपराध और असहिष्णुता सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। जैसे हर साल रावण का दहन होता है, हमें भी अपने अंदर की बुराइयों को खत्म करना चाहिए।
उन्होंने विशेष रूप से राजनीतिक नेताओं को सलाह दी कि समाज को सही दिशा देने के लिए सबसे पहले उन्हें अपने गिरेबान में झांकना होगा। उन्होंने कहा कि अगर नेता अपने चरित्र और आचरण को साफ कर लें, तो समाज अपने आप सुधार की ओर बढ़ेगा। खोखले भाषणों से कोई लाभ नहीं होता, बल्कि अमल से ही जनता का भरोसा जीता जा सकता है।
औजला ने लोगों से अपील की कि वे रावण दहन से प्रेरणा लें और अपने अंदर से घमंड, लालच और नफरत जैसी बुराइयों को समाप्त करें। उन्होंने प्रार्थना की कि भगवान सभी को अच्छा सोचने और अच्छा करने की शक्ति दें, ताकि समाज में शांति, भाईचारा और प्रेम बना रहे।
वहीं, विजयादशमी का पर्व हरियाणा के चरखी दादरी जिले में भी धूमधाम से मनाया गया। जगह-जगह बुराई के प्रतीक रावण के पुतले जलाए गए। बस स्टैंड के पीछे ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम के दौरान देर शाम आतिशबाजियों के बीच 51 फुट ऊंचा रावण का पुतला 15 सेकंड में जलकर राख हो गया। 41 फुट के मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले भी धूं-धूंकर जल गए।
इसके साथ ही करनाल में दशहरा पर्व पर 65 फुट लंबे रावण और 55-55 फुट के कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन हुआ। भाजपा विधायक जगमोहन आनंद समेत कई पार्टी नेता कार्यक्रम में शामिल हुए।