क्या पंजाब ने स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाई? : राजिंद्र कौर भट्टल

सारांश
Key Takeaways
- पंजाब का स्वतंत्रता संग्राम में योगदान महत्वपूर्ण है।
- राजिंद्र कौर भट्टल ने देशभक्ति का इतिहास बताया।
- कुका आंदोलन और संत बघेल सिंह जैसे उदाहरणों का उल्लेख किया गया।
- स्वदेशी को व्यवहार में लागू करने की आवश्यकता है।
- केंद्र सरकार से नीतियों में बदलाव की अपील की गई।
नई दिल्ली, २५ सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पंजाबी गायक और अभिनेता दिलजीत दोसांझ के बयान में कहा गया है कि पंजाबी कभी भी राष्ट्रभक्ति से पीछे नहीं हटते, लेकिन पंजाब की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजिंद्र कौर भट्टल ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
उन्होंने कहा कि पंजाब की देशभक्ति का इतिहास स्पष्ट है और इसमें कोई संदेह नहीं है। स्वतंत्रता संग्राम में पंजाबियों ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के विभिन्न आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपनी ज़मीन और संपत्ति तक देश के लिए कुर्बान कर दी।
इसके अतिरिक्त, कुका आंदोलन और संत बघेल सिंह जैसे उदाहरणों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि एक नौ साल का बच्चा भी देश के लिए तोप के सामने खड़ा होकर कुर्बानी देने की बात कह चुका था। ऐसी मिसालें विश्व में कहीं और नहीं मिलतीं। पंजाब ने हमेशा देश की जरूरतों को पूरा किया है, चाहे वह अनाज की आपूर्ति हो या अन्य योगदान देने की बात हो। मैं केंद्र सरकार से अपील करती हूं कि ऐसी नीतियां बनाएं जो पंजाब की इस भावना को और मजबूत करें।
भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच पर दिलजीत दोसांझ की टिप्पणी पर भट्टल ने कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय हो सकती है। हर व्यक्ति को अपनी राय रखने का अधिकार है। क्रिकेट मैच का आयोजन होना चाहिए या नहीं, इस पर वे विस्तार से बताएंगे। मैं पंजाब के लोगों और देश की आज़ादी में उनके योगदान के बारे में बात करना चाहती हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वदेशी को बढ़ावा देने की अपील पर राजिंद्र कौर भट्टल ने तंज कसा।
उन्होंने कहा कि स्वदेशी की बात करने वाले कई बार विदेशी हितों को बढ़ावा देते हैं। पंजाब के किसानों को गुजरात में कानूनी रूप से ली गई ज़मीन से बेदखल क्यों किया गया? यह सरकार विदेशी कंपनियों को लाभ पहुँचाने में लगी है, जबकि देश के अपने लोगों की जरूरतों को नजरअंदाज किया जा रहा है। स्वदेशी को केवल भाषणों में नहीं, बल्कि व्यवहार में लागू करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि जब भारत को जरूरत पड़ी, तब कोई विदेशी देश साथ नहीं खड़ा हुआ। इसलिए, हमें अपने देश और अपने लोगों को प्राथमिकता देनी चाहिए। मैं सरकार से अपील करती हूं कि वह ऐसी नीतियां बनाए जो देश की एकता और स्वदेशी भावना को मजबूती प्रदान करें।