क्या पुरी में बीमार महाप्रभु की सेहत में सुधार हो रहा है?

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क्या पुरी में बीमार महाप्रभु की सेहत में सुधार हो रहा है?

सारांश

पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है। महाप्रभु को विशेष औषधीय उपचार दिया जा रहा है। जानिए इस सुधार की प्रक्रिया और भक्तों की खुशी का कारण।

Key Takeaways

  • महाप्रभु की स्वास्थ्य में सुधार
  • दसमूलमोदक औषधि का महत्व
  • एकादशी का अनुष्ठान
  • भक्तों की खुशी
  • रथ यात्रा की तैयारी

पुरी, 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर में विराजमान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की सेहत में अब तेजी से सुधार हो रहा है। पिछले 10 दिनों से बुखार से पीड़ित महाप्रभु और उनके सहचर देवता 'अनवसर घर' नामक विश्रामगृह में विश्राम कर रहे थे और विशेष औषधीय उपचार प्राप्त कर रहे थे।

एकादशी के शुभ दिन पर देवताओं को दसमूलमोदक नामक पारंपरिक आयुर्वेदिक औषधि अर्पित की गई, जिसे 10 प्रकार की जड़ी-बूटियों और औषधीय मूलों से तैयार किया गया है। यह औषधि राजवैद्य (राजकीय वैद्य) द्वारा विशेष रूप से तैयार की गई थी और शुक्रवार को मंदिर प्रशासन को सौंप दी गई थी।

देवसेवक भवानी दैतापति ने बताया कि आज महाप्रभु के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है। एकादशी पर 'खड़ी लागी' अनुष्ठान किया जाता है। शाम के समय महाप्रभु के पूरे शरीर पर यह लेप चढ़ाया जाएगा, जिससे उनके शरीर को ठंडक प्राप्त होगी। ठीक वैसे ही जैसे मानव शरीर में बुखार आने पर शरीर गर्म हो जाता है, वैसे ही महाप्रभु ने भी मानवीय लीला करते हुए इस पीड़ा को दर्शाया है। रात में चंदन लेप (सुगंधित ठंडी चंदन की परत) पूरे शरीर पर लगाया जाएगा, जिससे महाप्रभु का शरीर शीतल होगा और वे पूर्णतः स्वस्थ हो जाएंगे।

उन्होंने बताया कि 22 जून को द्वादशी के दिन महाप्रभु जगन्नाथ के स्वस्थ होने की सूचना गजपति महाराज (पुरी के राजवंश) को दी जाएगी। इस अवसर पर राजप्रसाद भेजा जाएगा, जिसमें महाप्रभु के शरीर पर लगाए गए चंदन, उपचार में प्रयुक्त वस्तुएं और वस्त्र सम्मिलित होंगे। यह परंपरा यह दर्शाती है कि परम ब्रह्म, हमारे आराध्य भगवान जगन्नाथ अब पूर्णतः स्वस्थ हैं। महाप्रभु की सेहत में सुधार के बाद नेत्र उत्सव और नवजौवन दर्शन की तैयारी शुरू हो गई है। यह पर्व भगवान के फिर से दर्शन की शुरुआत मानी जाती है, जो रथ यात्रा के दो दिन पहले होता है। इससे पहले 15 दिनों तक भक्तों को दर्शन नहीं हो पाता क्योंकि महाप्रभु 'मानव लीला' के अंतर्गत अस्वस्थ रहते हैं।

उन्होंने कहा कि भक्त समाज आनंदित है। कहा गया है कि जो व्यक्ति महाप्रभु को रथ पर विराजमान देखता है, उसका पुनर्जन्म नहीं होता। वह बैकुंठ की प्राप्ति करता है।

Point of View

बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक है। महाप्रभु का स्वस्थ होना भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो उनकी भक्ति और श्रद्धा को और बढ़ाता है।
NationPress
21/06/2025

Frequently Asked Questions

महाप्रभु का बुखार कैसे ठीक हुआ?
महाप्रभु को दसमूलमोदक औषधि और विशेष औषधीय उपचार दिया गया है।
एकादशी पर क्या विशेष अनुष्ठान किया जाता है?
एकादशी पर 'खड़ी लागी' अनुष्ठान किया जाता है, जिससे महाप्रभु को ठंडक मिलती है।
महाप्रभु की सेहत में सुधार का क्या महत्व है?
महाप्रभु की सेहत में सुधार भक्तों के लिए एक नई आशा और उमंग लेकर आता है।