क्या पीएम मोदी ने योग से पूरी दुनिया में भारतीय संस्कृति की पताका लहराई?

सारांश
Key Takeaways
- डोंगला की विकास यात्रा उज्जैन की ऐतिहासिकता को आगे बढ़ाएगी।
- योग ने विश्व में शांति और एकता का संदेश फैलाया है।
- पीएम मोदी का दृष्टिकोण भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित कर रहा है।
- वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला का वैज्ञानिक महत्व है।
- अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर विश्व एक साथ योग करता है।
उज्जैन, 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि डोंगला अब एक नगरी के रूप में विकसित हो रही है। उज्जैन काल की नगरी है और प्राचीन काल में समय गणना का प्रमुख केंद्र रहा है, इसे पुनः काल गणना के केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के प्राचीन ज्ञान-विज्ञान के वाहक योग के माध्यम से संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति की पताका लहरा दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएम मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार आज की दुनिया युद्ध की नहीं बल्कि अहिंसा और भगवान बुद्ध की दुनिया है। हमारी सनातन संस्कृति ताकत के प्रदर्शन की जगह शिक्षा और विज्ञान के माध्यम से विश्व कल्याण की बात करती है। हजारों वर्षों से हमारे ऋषि-मुनियों ने ध्यान द्वारा ज्ञान एकत्रित किया और ज्ञान से विश्व कल्याण के कार्य किए। मुख्यमंत्री यादव ने शनिवार को डोंगला स्थित वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला में विद्यार्थियों से संवाद के दौरान यह बात कही।
मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि आज 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर संपूर्ण विश्व के कोने-कोने में योग किया जा रहा है। योग के माध्यम से विश्व में व्यक्ति से व्यक्ति को जोड़कर शांति के द्वार प्रशस्त किए जा रहे हैं। पिछली कुछ सदियों में पश्चिम के विज्ञान को महत्व दिया गया, लेकिन 21वीं शताब्दी में भारतीय ज्ञान को महत्व दिया जा रहा है। कोविड के बाद से सभी को भारतीय संस्कृति के 'नमस्कार' की महत्ता समझ में आई है। हमारा पुरातात्विक ज्ञान सृष्टि की मूल्यवान वस्तुओं से भी ज्यादा बेशकीमती और महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि डोंगला वेधशाला में स्थित शंकु यंत्र के माध्यम से सूर्य के परिचालन का माप लिया जा सकता है। भारतीय ज्ञान परंपरा में छोटे-छोटे सिद्धांतों के माध्यम से हमारे पूर्वजों ने विज्ञान को हमारी जीवनशैली बना दिया। वैज्ञानिक जीवनशैली ने हमारी संस्कृति को आज तक जीवित रखा है। संभवतः भगवान श्रीकृष्ण महाभारत काल में नारायणा धाम से डोंगला तक इसी वेधशाला की खोज में आए। यह भगवान श्रीकृष्ण का वैज्ञानिक स्वरूप भी हो सकता है। डोंगला स्थित वराहमिहिर खगोलीय वेधशाला को अंतरराष्ट्रीय रिसर्च का केंद्र बनाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है।
शिवकुमार शर्मा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर चर्चा के दौरान प्राचीन भारतीय विज्ञान संबंधी प्रश्न उठते हैं। हमारे यहां नक्षत्रों के आधार पर समय का मापन किया जाता है। भारतीय ज्ञान परंपरा का वाहक बनने का इस संवाद से आपको मौका मिला है। प्राचीन काल में यह स्थल गणना का केंद्र था, अपनी रिसर्च के माध्यम से हम इसे पुनः काल गणना का केंद्र बनाएंगे।