क्या प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने एक अलग पहचान बनाई है? : मोहन यादव
सारांश
Key Takeaways
- प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्व क्षमता ने भारत को एक नई पहचान दी है।
- योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिली है।
- अंगदान का महत्व और इसके सामाजिक लाभ।
- विज्ञान और योग का समन्वय आवश्यक है।
- छात्रों को प्रेरित करना महत्वपूर्ण है।
भोपाल, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंगलवार को राजधानी भोपाल में राष्ट्रीय बाल विज्ञान प्रदर्शनी का शुभारंभ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने बताया कि आधुनिक विज्ञान का उपयोग करते हुए प्रधानमंत्री मोदी सेना के माध्यम से पाकिस्तान को भी धूल चटाने का कार्य करते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ के माध्यम से योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित किया है। कितना अच्छा लगता है जब साइबेरिया की बर्फीली पहाड़ियों पर लोग योग करते हुए नजर आते हैं। चीन से लेकर पाकिस्तान तक हर कोई योग कर रहा है। योग वाले दिन तो पाकिस्तान के लोग भी योग करते हुए संयोग से ही सही, नमस्कार तो भारत को ही करते हैं।
भारतीय विज्ञान की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि ऋषि और मुनि दो अलग-अलग शब्द हैं। इन दोनों शब्दों का मर्म समझने से हमारे वैज्ञानिक परंपरा को समझना सरल हो जाएगा। हमारे मुनि विवाह नहीं करते, लेकिन ऋषि परंपरा न्यूनतम आवश्यकताओं के साथ अपना जीवन यापन करते हुए सुदूर जंगल में अध्ययन-अध्यापन का कार्य करते हैं।
उन्होंने भारत के प्राचीन ज्ञान की चर्चा करते हुए कहा कि वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभा अर्थात् लाखों-करोड़ों सूर्य हमारे यहां हैं। यह ज्ञान सनातन संस्कृति के माध्यम से भारतीय लोगों को प्राप्त है। अंगदान को महादान माना गया है।
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि जो अंगदान करता है, उन्हें हम 'गार्ड ऑफ ऑनर' देकर विज्ञान के इसी भाव को रेखांकित करते हैं। अंगदान से कई लोगों का जीवन बचता है। छात्रों को आने वाले समय का महान व्यक्ति होने की कामना करते हुए कहा कि आज मैं आपके बीच हमारी प्रतिभाओं में कोई वराह मिहिर, कोई आर्यभट्ट, कोई भाभा, कोई विक्रम साराभाई, कलाम साहब की प्रतिभा देख रहा हूं। मंगल मिशन फेल होने पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं जाकर हमारे वैज्ञानिकों का हौसला अफजाई करते हैं। विद्या, तर्क, विज्ञान, स्मृति, तत्परता और क्रियाशीलता इन 6 गुणों के आधार पर अपने जीवन में विज्ञान की गति को आगे बढ़ाया जा सकता है।