क्या काशी का पिशाच मोचन कुंड पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने में सहायक है?

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क्या काशी का पिशाच मोचन कुंड पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने में सहायक है?

सारांश

वाराणसी के पिशाच मोचन कुंड में श्राद्ध करते समय पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति दिलाने की प्रथा के पीछे की मान्यताओं और श्रद्धालुओं के अनुभवों पर एक नज़र। क्या यह सच में कार्य करता है?

Key Takeaways

  • पिशाच मोचन कुंड में श्राद्ध करने से पितरों को मुक्ति मिलती है।
  • यहाँ प्रतिदिन 25 से 30 हजार श्रद्धालु आते हैं।
  • पितृपक्ष की परंपरा 15 दिनों तक चलती है।
  • श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा करते हैं।
  • यह स्थान प्रेत योनि से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

वाराणसी, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। पूर्णिमा श्राद्ध के आगमन के साथ ही वाराणसी में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है। जिन परिवारों के पितृपक्ष की तिथि पूर्णिमा को आती है, वे आज श्राद्ध और पिंडदान कर रहे हैं। इसके साथ ही, सोमवार से पितृपक्ष का श्राद्ध पक्ष आरंभ होगा, जो अगले 14 दिनों तक जारी रहेगा।

इस विशेष अवसर पर काशी के प्रसिद्ध और श्रद्धेय स्थल पिशाच मोचन कुंड पर रोजाना 25 से 30 हजार श्रद्धालु आते हैं। यहां वे विधिपूर्वक अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध कर्म करते हैं। मान्यता है कि पिशाच मोचन कुंड में किए गए श्राद्ध से पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पूर्णिमा श्राद्ध के तहत वाराणसी पहुंचे जयप्रकाश मिश्र ने कहा कि पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष का आरंभ होता है। मृत परिजनों का श्राद्ध किया जाता है। जयप्रकाश मिश्र प्रयागराज से वाराणसी आए हैं।

उन्होंने बताया कि मान्यता है कि यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पिशाच मोचन कुंड के शास्त्री नीरज कुमार पांडेय ने कहा कि मृत्यु के बाद काशी में मुक्ति तो मिलती है, लेकिन यदि कोई परिवार का सदस्य पिशाच मोचन पर पिंडदान और श्राद्ध करता है, तो इससे उनके मृत परिजन को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है। यह परंपरा अनादिकाल से चल रही है।

उन्होंने कहा कि जो भी प्रेत या ब्रह्म दोष होते हैं, पिशाच मोचन कुंड पर पिंडदान और तर्पण करने से पितरों को मुक्ति मिलेगी। शास्त्री नीरज कुमार पांडेय ने बताया कि पिशाच मोचन कुंड पर एक दिन में करीब 25 से 30 हजार लोग पहुंचते हैं।

पिशाच मोचन कुंड के शास्त्री चंदन पांडेय ने कहा कि सोमवार से 15 दिनों के लिए पितृपक्ष की शुरुआत होगी। यहां बड़ी संख्या में लोग पिंडदान करने पहुंचते हैं। विशेष विधि यह है कि अगर पितृ प्रेत योनि में भी हैं, तो पिशाच मोचन कुंड पर पिंडदान से मुक्ति मिलती है।

उन्होंने बताया कि श्रद्धालु यहां आते हैं। पिंडदान करने के बाद वे भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं। इससे इन लोगों को सुख-शांति और घर-परिवार में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

Point of View

जो न केवल धार्मिक विश्वास को दर्शाता है, बल्कि यह परिवारों के बीच एकता और स्नेह को भी बढ़ावा देता है। यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए एक आशा की किरण है, जहां वे अपने मृत परिजनों को शांति और मोक्ष की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।
NationPress
07/09/2025

Frequently Asked Questions

पिशाच मोचन कुंड का क्या महत्व है?
पिशाच मोचन कुंड को पितरों की आत्मा की शांति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
क्या पिंडदान से पितरों को मुक्ति मिलती है?
हाँ, मान्यता है कि यहाँ पिंडदान करने से पितरों को प्रेत योनि से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस स्थान पर कितने श्रद्धालु आते हैं?
यहाँ रोजाना 25 से 30 हजार श्रद्धालु आते हैं।
पितृपक्ष कब से आरंभ होता है?
पितृपक्ष का आरंभ पूर्णिमा तिथि से होता है और यह 15 दिनों तक चलता है।
क्या यहाँ भगवान शिव की पूजा भी होती है?
हाँ, पिंडदान के बाद श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं।