क्या पुतिन के भारत दौरे से पहले रूस ने दिया बड़ा तोहफा?

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क्या पुतिन के भारत दौरे से पहले रूस ने दिया बड़ा तोहफा?

सारांश

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा महत्वपूर्ण डिफेंस डील और व्यापारिक सहयोग के लिए है। रूसी संसद ने रक्षा सहयोग को मंजूरी दी है, जो दोनों देशों के संबंधों को और मजबूत करेगा। जानिए इस डील के महत्व और भविष्य की संभावनाओं के बारे में।

Key Takeaways

  • पुतिन का भारत दौरा रक्षा सहयोग को बढ़ावा देगा।
  • रूस और भारत के बीच की दोस्ती को और मजबूती मिलेगी।
  • आरईएलओएस समझौते का उद्देश्य सैन्य संसाधनों का आदान-प्रदान करना है।
  • दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध मजबूत होंगे।
  • रूस भारत को ऊर्जा आपूर्ति जारी रखेगा।

नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही दो दिवसीय भारत दौरे पर आने वाले हैं। उनके दौरे से पूर्व, भारत-रूस के बीच एक महत्वपूर्ण डिफेंस डील को मंजूरी दी गई है। रूसी संसद के निचले सदन ड्यूमा ने 3 दिसंबर को दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को हरी झंडी दी है। पुतिन के आगमन से पहले, दोनों देशों ने अपनी मित्रता को और भी मजबूती प्रदान करते हुए इस डील पर हस्ताक्षर किए हैं।

रूस और भारत के बीच की मित्रता की जड़ें काफी गहरी और पुरानी हैं। अब इस मित्रता को एक नई दिशा देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। रक्षा सहयोग के साथ-साथ, रूस अब व्यापार में भी भारत का एक विश्वसनीय और स्थायी साझेदार बनना चाहता है। यही वजह है कि दोनों देश लंबे समय बाद व्यापार के नए दरवाजे खोलने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

रूसी संसद ड्यूमा ने आज भारत-रूस रेसिप्रोकल एक्सचेंज ऑफ लॉजिस्टिक सपोर्ट (आरईएलओएस) समझौते को मंजूरी दी है। इस समझौते के तहत, दोनों देश अपने सैन्य अड्डे, बंदरगाह, सप्लाई प्वाइंट, एयरफील्ड, सुविधाएं और संसाधनों का आदान-प्रदान करेंगे। इस अभियान का खर्च भी दोनों देशों द्वारा उठाया जाएगा।

इस समझौते का उपयोग शांति कालीन सैन्य सहयोग और लॉजिस्टिक सहयोग के दौरान किया जा सकेगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि इस डील के अंतर्गत सैन्य अड्डों का उपयोग किसी भी सैन्य संघर्ष के लिए नहीं किया जाएगा।

इससे पहले, भारत ने अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और अन्य देशों के साथ भी ऐसे समझौते किए हैं। पिछले सप्ताह, रूसी प्रधानमंत्री मिखाइल मिशुस्तीन ने इस समझौते को ड्यूमा को भेजा था, जिसे अब मंजूरी मिल गई है।

इंडिया हैबिटेट सेंटर में स्पुतनिक न्यूज द्वारा आयोजित एक मीडिया ब्रीफिंग में क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि यह दौरा भारत और रूस के संबंधों को और मजबूत करेगा, जिनकी नींव आपसी समझ और साझेदारी पर आधारित है। भारत के विकास में रूस हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा है।

पेस्कोव ने कहा कि रणनीतिक और रक्षा सहयोग संवेदनशील क्षेत्रों में आता है, लेकिन रूस नई और उभरती प्रौद्योगिकियों सहित विभिन्न क्षेत्रों में अपने अनुभव को भारत के साथ साझा करने के लिए पूरी तरह तैयार है। ऊर्जा क्षेत्र में भी, उन्होंने कहा कि रूस प्रतिस्पर्धी कीमतों पर भारत को ऊर्जा आपूर्ति जारी रखेगा, जो दोनों देशों के लिए लाभकारी है।

परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में भी, उन्होंने मौजूदा सहयोग और भविष्य की परियोजनाओं की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि रूस के सहयोग से भारत के परमाणु उद्योग में "एक अलग सेक्टोरल इकोसिस्टम" तैयार हुआ है। वर्तमान में, भारत-रूसी द्विपक्षीय व्यापार 63 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है और दोनों देशों ने वर्ष 2030 तक 100 अरब डॉलर के लक्ष्य को पार करने का संकल्प लिया है।

क्रेमलिन प्रवक्ता ने बिना अमेरिका का नाम लिए यह स्वीकार किया कि कुछ शक्तियां भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंधों को बाधित करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन रूस इन चुनौतियों के बावजूद संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। व्यापार संतुलन में सुधार लाने के लिए रूस भारत से आयात बढ़ाने की दिशा में सक्रिय है।

Point of View

NationPress
10/12/2025

Frequently Asked Questions

पुतिन का भारत दौरा क्यों महत्वपूर्ण है?
पुतिन का भारत दौरा डिफेंस डील और व्यापारिक सहयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण है।
आरईएलओएस समझौता क्या है?
आरईएलओएस समझौते के तहत दोनों देश अपने सैन्य संसाधनों का आदान-प्रदान करेंगे।
भारत-रूस संबंधों का इतिहास क्या है?
भारत और रूस के बीच की दोस्ती बहुत पुरानी और गहरी है।
रूस का भारत को ऊर्जा आपूर्ति का क्या महत्व है?
रूस, प्रतिस्पर्धी कीमतों पर भारत को ऊर्जा आपूर्ति करेगा, जो दोनों देशों के लिए लाभकारी है।
क्या यह डील सैन्य संघर्ष के लिए उपयोग की जाएगी?
इस डील के तहत सैन्य अड्डों का उपयोग किसी भी सैन्य संघर्ष के लिए नहीं किया जाएगा।
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