क्या यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का भारत दौरा एक नई शुरुआत है?
सारांश
Key Takeaways
- रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का भारत दौरा महत्वपूर्ण है।
- भारत-रूस संबंधों में गहराई और स्थिरता है।
- रक्षा संबंध सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ रहा है।
नई दिल्ली, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पोलैंड में भारत के पूर्व राजदूत दीपक वोहरा ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दो दिवसीय भारत दौरे को बेहद महत्वपूर्ण बताया है।
यह ध्यान देने योग्य है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद, पुतिन का यह पहला भारत दौरा है। इसलिए, संभावनाएं हैं कि जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन मिलेंगे, तो रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने पर चर्चा हो सकती है।
पूर्व राजदूत दीपक वोहरा के अनुसार, राष्ट्रपति पुतिन का यह दौरा दुनिया को संदेश दे रहा है कि रूस कूटनीतिक रूप से अकेला नहीं है और भारत एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में खड़ा है।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत करते हुए वोहरा ने कहा, 'हर दौरे को एक नया अध्याय कहा जाता है। ऐसा हर बार होता है जब कोई आता है, लेकिन यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब रूस-यूक्रेन में चुनौतियों का सामना कर रहा है। यह सच में एक नया चैप्टर है। दोनों तरफ से ऐसी बातें हो रही हैं। यूक्रेन कहता है, 'हम यह करेंगे,' और रूस जवाब देता है, 'कोशिश करो, और मैं तुम्हें बर्बाद कर दूंगा।'
दीपक वोहरा ने आगे कहा, 'अगर कोई नेता ऐसे समय में अपना देश छोड़ता है, तो इसका मतलब दो बातें हैं: पहला, उसे अपने सिस्टम पर भरोसा है, और दूसरा, वह दुनिया को दिखाना चाहता है कि वह अकेला नहीं है। चीन, ईरान और उत्तर कोरिया ही उसके अकेले पार्टनर नहीं हैं। वह दिखाना चाहता है कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक, सबसे मजबूत सेनाओं में से एक, और एक ऐसा देश जो जबरदस्त कूटनीति के लिए जाना जाता है, वह भी उसके साथ खड़ा है।'
वोहरा ने कहा कि भारत-रूस का रिश्ता सिर्फ हेडलाइन या कुछ समय की राजनीतिक बातें नहीं हैं। 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ यह शायद उनकी 17वीं या 18वीं मीटिंग है, और इसका क्या मतलब है? लोग कहेंगे, 'ऐतिहासिक पल, गेम चेंजर।' लेकिन हकीकत यह है कि हमारी दोस्ती दशकों पुरानी है।'
उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं कि भारत आजाद हो गया; यह बकवास है। भारत का बंटवारा हुआ था। फिर भी तब से लेकर आज तक, न तो सोवियत यूनियन और न ही रूस ने कभी भारत के मुख्य हितों को खतरा पहुंचाया है। यही भरोसा इस रिश्ते की नींव है।
पूर्व राजदूत ने कहा, 'अभी भी मुख्य फोकस पर रक्षा संबंध हैं, लेकिन पार्टनरशिप और भी बड़ी है। हर कोई रक्षा की बात कर रहा है, सुखोई-57, एस-400, लेकिन रक्षा तो बस एक पिलर है। हमारा सहयोग ऊर्जा तक फैला हुआ है, और इसका मतलब सिर्फ तेल नहीं, बल्कि न्यूक्लियर एनर्जी भी है। यह हमारे द्विपक्षीय संबंधों का एक अहम हिस्सा है। इसके अलावा, हम मेडिसिन, अंतरिक्ष, कृषि, शिक्षा और संस्कृति के एक्सचेंज में भी सहयोग करते हैं।'
अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए वोहरा ने कहा, 'सालों पहले, जब मैं पेरिस में तैनात था, तो मैं एक डिनर में गया था जहां संगीत बज रहा था। अचानक, मैंने सुना 'मेरा जूता है जापानी।' सोवियत यूनियन में लोग राज कपूर और मिथुन चक्रवर्ती को बहुत पसंद करते थे। वह इमोशनल कनेक्शन मायने रखता था।'
उन्होंने तकनीक साझा करने के लिए रूस और अमेरिका के तरीकों में अंतर का जिक्र करते हुए कहा, 'मैंने एक बार अपने पिता से पूछा कि अमेरिकियों और सोवियत लोगों में क्या फर्क है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी पोलाइट थे और कहते थे, 'यह बटन दबाओ, यह काम करेगा; वह दबाओ, और यह टूट जाएगा, हमें बुलाओ, हम इसे ठीक कर देंगे।' लेकिन सोवियत लोग गुरुओं की तरह बिहेव करते थे; वे कहते थे, 'हमारे साथ आओ; हम तुम्हें सिखाएंगे।' उन्होंने कभी हमें कम नहीं समझा।'
मजाकिया अंदाज में उन्होंने कहा, 'हमारे पड़ोसी को मैं जिहादिस्तान कहता हूं, आप इसे पाक कहते हैं, के पास ऐसे जहाज हैं जो पुराने हो गए थे और उन्हें फिर से ठीक करने की जरूरत थी। अमेरिकियों ने उन्हें रिपेयर किया, पैसे लिए, लेकिन उन्हें कभी सिखाया नहीं कि कैसे करना है। यही फर्क है।'
वोहरा ने कहा कि स्थानीय डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारत का जोर रूस के सहयोग मॉडल से मेल खाता है। सुखोई एयरक्राफ्ट और एस-400 सिस्टम अब भारत में ही बनेंगे, यानी आत्मनिर्भर भारत।'
पश्चिमी देशों के एतराज के बावजूद भारत के डिस्काउंट वाले रूसी कच्चे तेल के लगातार आयात पर उन्होंने कहा, 'कुछ देशों ने हमसे रूसी तेल खरीदना बंद करने को कहा। हम ऐसा क्यों करें? क्या वे हमारे रखवाले हैं? हम भारत के भले के लिए काम करते हैं। दुनिया बदल गई है।'
राष्ट्रपति पुतिन के इस दौरे पर पूरी दुनिया की नजर है। इसे लेकर वोहरा ने कहा कि कई देश करीब से देख रहे हैं। कुछ असहज महसूस कर रहे हैं। यूरोप ने आर्थिक और भूराजनीतिक असर खो दिया है, फिर भी घमंड बना हुआ है। कुछ दिन पहले, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के राजदूतों ने भारत को एक आर्टिकल लिखा था जिसमें पुतिन को तानाशाह कहा गया था और सवाल किया गया था कि भारत उनकी मेजबानी क्यों कर रहा है। वे भारत के फैसलों में दखल देने वाले कौन होते हैं? हम उन्हें उनके अंदरूनी मामलों पर कभी ज्ञान नहीं देते हैं।'
उन्होंने कहा कि जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भारत की रणनीतिक भूमिका को महत्व देते हैं। वे इसे सावधानी से देख रहे हैं, जबकि रूस के दुश्मन इस बात से परेशान हैं कि पुतिन अलग-थलग पड़ने के बजाय मजबूत दिख रहे हैं।'
वोहरा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ को लेकर लिए गए फैसलों की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा, 'ट्रंप ने भारतीय सामानों पर 25 फीसदी और 50 फीसदी का टैरिफ लगाया, और कुछ लोगों को आर्थिक गिरावट का डर था। लेकिन आंकड़े देखिए, भारत की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है। ट्रंप को मेरा मैसेज है: अगर आपको लगता है कि टैरिफ हमें कमजोर करते हैं, तो उन्हें 500 परसेंट तक बढ़ा दें।'
उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोप के उलट, रूस ने कभी भी भारत पर रोक नहीं लगाई। वे (अमेरिका) जितना ज्यादा हम पर दबाव डालने की कोशिश करते हैं, हम उतनी ही ज्यादा साझेदारी के साथ अलग-अलग तरह के लोग लाते हैं। यही नेचुरल कूटनीति है।'
आखिर में उन्होंने कहा कि रूस के साथ भारत के रिश्ते बहुत गहरे और टिकाऊ हैं। रूस भारत के सबसे मुश्किल सालों में उसके साथ खड़ा रहा और हमारे साथ इज्जत से पेश आता रहा है। इसीलिए भारत और रूस के बीच रिश्ते मजबूत बने हुए हैं।