क्या लैंड फॉर जॉब केस में आरोप तय करने का कोई आधार नहीं है: राबड़ी देवी?

सारांश
Key Takeaways
- सीबीआई ने यह स्पष्ट किया कि जमीन खरीदने में कोई अनियमितता नहीं है।
- राबड़ी देवी के वकील ने आरोपों को गलत बताया।
- जमीन खरीदने के समय सभी कानूनी कागजात मौजूद थे।
- नौकरी पाने वाले सभी लोग आज भी काम कर रहे हैं।
- भर्ती की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं थी।
नई दिल्ली, 19 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में मंगलवार को राबड़ी देवी ने राउज एवेन्यू कोर्ट में अपनी दलीलें पेश कीं। उनके वकील ने अदालत में स्पष्ट किया कि इस मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने का कोई आधार नहीं है।
वकील ने बताया कि जिस जमीन का जिक्र हो रहा है, वह 2005 में खरीदी गई थी, और उस समय सभी कानूनी कागजात, जैसे कि सेल डीड (बिक्री दस्तावेज) मौजूद थे।
उन्होंने यह भी कहा कि जमीन खरीदने के 6 साल बाद तक किसी को भी कोई नौकरी नहीं मिली, ऐसे में यह कहना कि जमीन के बदले नौकरी दी गई, यह तर्क गलत है।
राबड़ी देवी के वकील ने कहा कि सीबीआई को यह स्पष्ट करना चाहिए कि भ्रष्टाचार किस स्तर पर हुआ और कौन-सी प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई। उन्होंने सवाल किया कि जब जमीन खरीदना एक कानूनी लेन-देन है, तो इसे अपराध कैसे माना जा सकता है?
उन्होंने कहा, "हम इस बात के लिए आभारी हैं कि सीबीआई ने स्पष्ट किया कि लालू प्रसाद यादव ने जमीन खरीदी थी, किसी की जमीन छीनी नहीं गई।" सीबीआई का यह भी कहना है कि लालू प्रसाद ने किसी पर कोई एहसान नहीं किया और न ही किसी को बिना मेहनत के नौकरी दी।
राबड़ी देवी के वकील ने कहा कि जिन लोगों से जमीन खरीदी गई, उन्हें पैसे दिए गए थे। यह एक सामान्य खरीद-बिक्री थी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि जिन लोगों को बाद में नौकरी मिली, वे सभी आज भी नौकरी में कार्यरत हैं और उनका प्रमोशन भी नियमित रूप से हुआ है। अगर यह भर्ती गलत होती, तो क्या वे अब तक नौकरी में रहते?
वकील ने कहा, "अगर यह सौदा गलत होता तो क्या सीबीआई यह नहीं कहती कि जमीन के बदले पैसे नहीं दिए गए? लेकिन ऐसा कोई आरोप सीबीआई की ओर से नहीं है।"