क्या छाया सोमेश्वर मंदिर में है रहस्यमय परछाई का राज?

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क्या छाया सोमेश्वर मंदिर में है रहस्यमय परछाई का राज?

सारांश

छाया सोमेश्वर मंदिर, तेलंगाना, एक अद्वितीय धार्मिक स्थल है जहाँ भगवान शिव के पीछे मानव जैसी रहस्यमयी परछाई देखी जाती है। जानिए इस मंदिर के चमत्कार और इसके पीछे का विज्ञान।

Key Takeaways

  • सोमेश्वर मंदिर में अद्भुत परछाई देखने को मिलती है।
  • यह मंदिर 11वीं शताब्दी में बना था।
  • इसमें भगवान शिव, विष्णु और सूर्य की प्रतिमाएं हैं।
  • यह आस्था और विज्ञान का अद्वितीय उदाहरण है।
  • पौराणिक कथा के अनुसार, चंद्रमा ने यहाँ तपस्या की थी।

नई दिल्ली, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत में कई मंदिर ऐसे हैं, जो अपने अद्भुत चमत्कारों और रहस्यों के लिए प्रसिद्ध हैं। कुछ मंदिरों में कपाट बंद होने के बाद उनकी ओर देखना भी मना है, वहीं कुछ में भगवान स्वयं प्रकट होते हैं।

तेलंगाना में एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान शिव के पीछे मानव जैसी दिखने वाली रहस्यमयी परछाई देखी जा सकती है। इस परछाई के रहस्य और इसके दीवार पर अंकित होने की प्रक्रिया आज भी अनसुलझी है।

तेलंगाना के नालगोंडा जिले के पनागल गांव में स्थित सोमेश्वर मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यहाँ भक्त भगवान शिव के दर्शन के साथ-साथ गर्भगृह में मौजूद परछाई देखने के लिए भी आते हैं। यह परछाई न केवल भक्तों को, बल्कि पर्यटकों को भी आकर्षित करती है। यह रहस्यमयी परछाई 1000 वर्ष पुरानी वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है और विज्ञान का भी एक ज्वलंत प्रमाण है।

गर्भगृह में भगवान शिव का शिवलिंग है। शिवलिंग के पीछे दीवार पर मानव आकृति जैसी स्थिर परछाई दिखती है, जो हमेशा एक ही स्थिति में रहती है। विशेष बात यह है कि परछाई बनाने में उपयोगी कोई वस्तु गर्भगृह में नहीं है। इसे प्रकाश और कोण के अद्भुत आर्किटेक्चरल भ्रम के रूप में देखा जाता है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्भगृह के सामने कई स्तंभ हैं, जो पूरे दिन सूर्य के प्रकाश को मंदिर के भीतर बनाए रखते हैं। यह भी माना जाता है कि यह परछाई कई संयुक्त स्तंभों की छाया से बनी है, लेकिन इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है। इस मंदिर का निर्माण इक्ष्वाकु वंश के कुंदुरु चोडा शासकों ने 11वीं शताब्दी में कराया था। यहाँ भगवान शिव के अलावा भगवान विष्णु और सूर्य की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई हैं।

यह मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं है, बल्कि विज्ञान और आध्यात्मिकता का अनोखा मेल प्रस्तुत करता है। इसे भगवान चंद्र से भी जोड़ा गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस स्थल पर चंद्रमा ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए।

Point of View

बल्कि यह विज्ञान और तर्क का भी एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि कैसे संस्कृति और विज्ञान एक साथ मिलकर मानवता को प्रभावित कर सकते हैं।
NationPress
26/12/2025

Frequently Asked Questions

सोमेश्वर मंदिर की क्या विशेषता है?
सोमेश्वर मंदिर में भगवान शिव के पीछे मानव जैसी परछाई देखी जाती है, जो स्थिर रहती है और इसके रहस्य का कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
यह मंदिर कब बनाया गया था?
यह मंदिर 11वीं शताब्दी में इक्ष्वाकु वंश के कुंदुरु चोडा शासकों द्वारा निर्मित किया गया था।
क्या इस मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं हैं?
हाँ, इस मंदिर में भगवान शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु और सूर्य की प्रतिमाएं भी हैं।
क्या यह मंदिर वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है?
यह मंदिर वास्तुकला और प्रकाश के अद्भुत प्रयोग का उदाहरण पेश करता है, जिससे यह एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रमा ने यहाँ भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप भगवान शिव प्रकट हुए।
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