क्या राहुल गांधी अपना कर्तव्य नहीं निभाएंगे तो अन्य राज्यों में भी मिलेगी बिहार जैसी हार?
सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए गए।
- भाजपा सांसद ने कर्तव्यों के पालन की आवश्यकता बताई।
- बिहार हार के कारण अन्य राज्यों में भी हार का खतरा।
- आरएसएस को सम्मानित संगठन बताया गया।
- इंडिगो की देरी पर सरकार को सचेत रहने की सलाह।
नई दिल्ली, 10 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को जनता के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं। शशांक मणि त्रिपाठी ने 'वंदे मातरम' गीत के संदर्भ में लोकसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की अनुपस्थिति पर भी सवाल उठाए।
भाजपा सांसद शशांक मणि त्रिपाठी ने बुधवार को राष्ट्र प्रेस के साथ बातचीत में कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि 'वंदे मातरम' पर एक महत्वपूर्ण चर्चा के दौरान, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सारगर्भित उद्बोधन दिया और उसके बाद हमारे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अच्छा भाषण दिया, तब मैंने देखा कि नेता प्रतिपक्ष वहां उपस्थित नहीं थे।"
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को 'वंदे मातरम' पर लोकसभा में चर्चा के समय उपस्थित रहना चाहिए था। उन्हें जनता के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं, जिस कारण उन्हें बिहार में हार का सामना करना पड़ा। यदि यही स्थिति रही तो अन्य राज्यों में भी हार का सामना करना पड़ेगा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर विपक्ष के आरोपों पर शशांक मणि त्रिपाठी ने कहा, "राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) एक सम्मानित संगठन है, जिसने देश के लिए कई कुर्बानियाँ दी हैं। उन्होंने समाज को आगे बढ़ाने के लिए कार्य किए हैं, जो शायद अन्य संगठनों ने नहीं किए।"
भाजपा सांसद ने कहा, "आरएसएस कोई राजनीतिक दल नहीं है। यदि राहुल गांधी को सवाल उठाने हैं तो उन्हें भारतीय जनता पार्टी पर सवाल उठाने चाहिए, जिसका दबाव हम चुनावों में हर बूथ पर लड़कर साबित करेंगे।"
वहीं, इंडिगो की देरी और कैंसलेशन के मुद्दे पर शशांक मणि त्रिपाठी ने कहा कि इंडिगो को पहले चेतावनी दी गई थी, लेकिन उसने इसे गंभीरता से नहीं लिया, जिससे अफरातफरी की स्थिति पैदा हुई। हालांकि, इस घटनाक्रम के बाद सरकार भी सचेत हो गई है। मेरा मानना है कि अब अन्य एयरलाइन कंपनियों को भी मौके दिए जाने चाहिए और भविष्य में हमें नियामक कार्रवाई से बचना चाहिए।