क्या राहुल गांधी के बयान को गंभीरता से लिया जाना चाहिए? : पुष्पेंद्र सरोज

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी के सवालों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
- सरकार को ऑपरेशन सिंदूर के तथ्यों को साझा करना चाहिए।
- स्कूल मर्जर के मुद्दे पर सरकार की नीतियों की समीक्षा आवश्यक है।
- कानून-व्यवस्था पर ध्यान देने की जरूरत है।
- कांवड़ यात्रा में शामिल लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
नई दिल्ली, 20 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लगातार केंद्र सरकार से 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारत-पाक सीजफायर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता पर सवाल उठा रहे हैं। इस बीच, सोमवार से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में भी यह उम्मीद जताई जा रही है कि विपक्षी दलों की तरफ से सरकार को 'ऑपरेशन सिंदूर' और सीजफायर के मुद्दे पर घेराबंदी की जाएगी।
रविवार को राष्ट्र प्रेस से बातचीत में सपा सांसद पुष्पेंद्र सरोज ने कहा कि शनिवार को इंडिया ब्लॉक और रविवार को सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया। दोनों बैठकें सकारात्मक रही हैं। हम मानसून सत्र में जनता से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगेंगे। आशा है कि सदन के भीतर दोनों पक्षों के बीच सार्थक संवाद होगा। राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर ग्रामीण विकास तक कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिन्हें समाजवादी पार्टी उठाएगी।
उन्होंने बताया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' और पहलगाम आतंकवादी हमले को लेकर विपक्ष की मांग थी कि इस पर चर्चा के लिए एक विशेष सत्र बुलाया जाए। लेकिन केंद्र ने इस मांग को ठुकरा दिया। अब मानसून सत्र में सभी सवालों के जवाब मांगे जाएंगे।
सरोज ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा उठाए गए प्रश्न उचित हैं। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान जो जानकारी हमें मिली है, उससे कहीं अधिक जानकारी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साझा की है। यह स्थिति सही नहीं है। देश जानना चाहता है कि ट्रंप के बयानों में कितनी सच्चाई है। केंद्र सरकार को सदन में इस ऑपरेशन से संबंधित सभी तथ्य प्रस्तुत करने चाहिए ताकि विश्व में यह संदेश जाए कि हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं।
स्कूल मर्जर पर उन्होंने कहा कि यह स्थिति ठीक नहीं है। स्कूलों को बंद कर शराब के ठेके खोले जा रहे हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार विकास की दिशा में आगे नहीं बढ़ रही है। शिक्षकों को बेरोजगार करने की पूरी योजना बन रही है। शिक्षकों में यह डर है कि कहीं उन्हें जाति के आधार पर नौकरी से न निकाला जाए।
उन्होंने उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह पहली बार हो रहा है कि पीड़ित के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हो रहा है। जांच की बात होती है, लेकिन जांच में कुछ नहीं निकलता है।
उन्होंने कांवड़ यात्रा पर कहा कि कानून-व्यवस्था का ध्यान रखना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है। अच्छी बात है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ताजिया पर बोलते हैं, लेकिन उन्हें उन मुद्दों पर भी बोलना चाहिए, जहां कांवड़ यात्रा में शामिल लोग पुलिस-प्रशासन पर हमला करते हैं।