क्या चुनाव में लगातार हार से हताश राहुल गांधी अब वोट चोरी का आरोप लगा रहे हैं?
सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी की चुनावी हार के कारण उनकी हताशा देखने को मिल रही है।
- वोट चोरी का आरोप लगाना एक नई रणनीति हो सकती है।
- मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की आवश्यकता है।
- फिल्म 'ताज' ने भारतीय इतिहास को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है।
- हमें बच्चों को सही और संपूर्ण इतिहास पढ़ाना चाहिए।
मुंबई, 8 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीराज नायर ने 'वोट चोरी' के विषय में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर कड़ा हमला किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी लगातार चुनावों में पराजित हो रहे हैं। अब वे हताश होकर पहले ईवीएम में घोटाले की बात करते थे, और अब सरकार पर 'वोट चोरी' का आरोप लगा रहे हैं। नायर ने सुझाव दिया कि पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) होना चाहिए।
श्रीराज नायर ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि राहुल गांधी हर बार नई दलीलें पेश कर रहे हैं। पहले, उन्होंने ईवीएम घोटाले की बात की, लेकिन अगर ईवीएम में गड़बड़ी संभव है, तो फिर वोट चोरी की आवश्यकता क्यों है? यह दोनों बातें एक साथ सही नहीं हो सकतीं। उन्होंने कहा कि मालवणी क्षेत्र में अवैध मतदाताओं का मुद्दा गंभीर है। यहां योजनाबद्ध रूप से बांग्लादेशी, रोहिंग्या और अन्य बाहरी लोगों को बसाया गया है। खासकर, यहां के विधायक असलम शेख ने अवैध वोटों के बल पर चुनाव जीता है।
नायर ने कहा कि बिहार की तरह देशभर में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण होना चाहिए, ताकि जिन लोगों ने अवैध रूप से नाम दर्ज कराया है, उन्हें हटाया जा सके। इससे भारत का लोकतंत्र और मजबूत होगा।
उन्होंने फिल्म 'ताज' की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह मूवी भारत के गौरवमयी इतिहास को दिखाती है। उन्होंने परेश रावल के अभिनय की भी सराहना की। भारत का इतिहास इस्लाम और ईसाई धर्मों के आगमन से कई शताब्दियों पूर्व से समृद्ध रहा है। ताजमहल जैसी इमारत विश्व में कहीं नहीं है, लेकिन भारत में जितनी भी भव्य इमारतें मुगल स्थापत्य शैली में जानी जाती हैं, वे वास्तव में हिंदू शिल्पकारों द्वारा निर्मित हैं, जिनमें भारतीय संस्कृति की झलक साफ दिखाई देती है।
उन्होंने कहा कि “ताज” मूवी गहन शोध पर आधारित है और लोगों को इसे अवश्य देखना चाहिए। दुर्भाग्यवश, अब तक हमारे बच्चों को इतिहास का एकतरफा रूप पढ़ाया गया है, क्योंकि पाठ्यपुस्तकों पर वामपंथी विचारधारा का प्रभाव रहा है। यह फिल्म वास्तविक इतिहास को सामने लाने का कार्य करती है। नायर ने कहा कि इस तरह की फिल्मों से नई पीढ़ी भारत के प्राचीन गौरव और सांस्कृतिक विरासत को सही रूप में समझ सकेगी।