क्या राहुल गांधी ने देश के सामने सही तथ्यों को रखा?

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
- लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है।
- चुनाव आयोग को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
- राजनीतिक मुद्दे पर सभी को एकजुट होकर बोलना चाहिए।
- संवैधानिक संकट से बचने के लिए सही प्रक्रिया अपनानी चाहिए।
नई दिल्ली, 18 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने गुरुवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्होंने पूरे तथ्यों के साथ अपने विचार देश के सामने प्रस्तुत किए हैं।
उन्होंने समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में कहा कि यह मानने से इंकार नहीं किया जा सकता कि हमारे नेता राहुल गांधी ने यह खुलासा किया है कि किस प्रकार से केंद्र सरकार के अधीन चुनाव आयोग वोटों की चोरी कर रहा है। चुनाव आयोग लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर आघात कर रहा है, लेकिन हमारे नेता इसका लगातार विरोध कर रहे हैं। वे अब यह बात देश के सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं कि कैसे एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों के हितों पर चोट पहुंचाई जा रही है। हम इस स्थिति को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते हैं।
कांग्रेस सांसद ने सवाल उठाया कि क्या वोट चोरी के खिलाफ आवाज उठाना केवल राहुल गांधी का अधिकार है। मैं यह कहता हूँ कि हर किसी को इस मुद्दे का खुलकर विरोध करना चाहिए। लोगों को सामने आकर बताना चाहिए कि किस प्रकार केंद्र सरकार के अधीन राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में करने के लिए वोटों की चोरी की जा रही है।
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राहुल गांधी के आरोपों के बाद चुनाव आयोग को जवाब देना चाहिए था, लेकिन आयोग ने इस मामले में कोई प्रतिक्रिया देना उचित नहीं समझा।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने इस मुद्दे को बेबाकी से उठाया है और सीधे सवाल किया है कि क्या हमें हर मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पास जाना चाहिए। निश्चित रूप से हर मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाना सही नहीं है, क्योंकि इससे हमारे लिए संवैधानिक संकट उत्पन्न हो सकता है।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा देते हैं, लेकिन यह केवल शब्दों की बात है। इनका इससे वास्तविक रूप में कोई संबंध नहीं है। ये लोग सांप्रदायिक मानसिकता रखते हैं।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि इससे बढ़कर दुर्भाग्यपूर्ण और क्या हो सकता है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले में निर्दोष लोगों की जान चली जाती है, और इसके बावजूद ये लोग पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच आयोजित करते हैं। यह स्पष्ट है कि ये लोग अपनी गतिविधियों में किस प्रकार की विरोधाभासी स्थिति अपनाते हैं।