क्या राहुल गांधी संवैधानिक संस्था की छवि को धूमिल और कमजोर करना चाहते हैं? : जगदंबिका पाल

सारांश
Key Takeaways
- राहुल गांधी ने एसआईआर मुद्दे पर मार्च निकाला।
- भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने उन पर आरोप लगाया।
- पुलिस ने मार्च को रोका और नेताओं को हिरासत में लिया।
- संविधानिक संस्थाओं की छवि को कमजोर करना सही नहीं है।
- राजनीतिक विवादों में संयमित रहना चाहिए।
नई दिल्ली, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। एसआईआर मुद्दे पर लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में सोमवार को 'इंडिया' ब्लॉक के नेताओं ने पैदल मार्च निकालने का प्रयास किया। लेकिन, संसद भवन से निर्वाचन आयोग के कार्यालय तक निकाले जा रहे इस पैदल मार्च को पुलिस ने बीच में ही रोका और नेताओं को हिरासत में ले लिया। भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने मंगलवार को राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उन पर जानबूझकर आयोग की छवि को धूमिल और कमजोर करने का आरोप लगाया।
भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने एसआईआर को लेकर विपक्ष के प्रदर्शन पर कहा, "विपक्ष ने चुनाव आयोग पर जो आरोप लगाए हैं, उसके बारे में उनके पास कुछ कहने को नहीं है। चुनाव आयोग उन्हें बुला रहा था। आयोग उनके 30 सांसदों को आमंत्रित करके बैठक करने के लिए तैयार था। लेकिन, उनके पास कहने के लिए कोई ठोस बात नहीं थी। विपक्ष हो या राहुल गांधी, वे केवल झूठ बोलते हैं और भाग जाते हैं।"
उन्होंने कहा, "चुनाव आयोग उनसे सबूत मांग रही है, लेकिन वे सबूत देने के बजाय सड़क पर बैठ रहे हैं। यदि आप चुनाव आयोग से उत्तर चाहते हैं तो आप सड़क पर क्यों बैठे हैं? इससे यह स्पष्ट है कि आप अपनी हार का ठीकरा चुनाव आयोग पर फोड़ना चाहते हैं। यदि हिमाचल और कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है, तो यह इसी चुनाव आयोग के कराए चुनाव के कारण है। राहुल गांधी और अखिलेश यादव खुद सांसद हैं, तो यह भी इसी चुनाव आयोग के कारण है। कांग्रेस केवल संवैधानिक संस्था की छवि को धूमिल और कमजोर करना चाहती है।
राहुल गांधी के परिणाम भयावह होने के बयान पर भाजपा सांसद ने कहा, "यह बयान राहुल गांधी की हताशा को दर्शाता है। जिस तरह से वे सड़कों पर हंगामा कर रहे हैं, सदन में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं, सड़क पर पुलिस के साथ झगड़ रहे हैं और बैरिकेड्स तोड़ रहे हैं, यह हिंसा का संकेत है। यदि उन्हें अहिंसा और लोकतंत्र में विश्वास होता तो आज सदन चल रहा होता। सदन चर्चा के लिए है, न कि धरने के लिए।"
जगदंबिका पाल ने राहुल गांधी को दिवालियापन बताते हुए कहा कि संसद का सत्र चल रहा है; ऐसे में वे नेता प्रतिपक्ष होने के नाते, चर्चा में भाग लेने के बजाय सड़कों पर आरोप लगाते घूम रहे हैं। जनता ने उन्हें ठुकराया है, जिसके कारण उनकी हताशा स्पष्ट है।