क्या 13 साल बाद राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे के जन्मदिन पर मातोश्री में कदम रखा?

सारांश
Key Takeaways
- उद्धव ठाकरे के जन्मदिन पर राज ठाकरे की एंट्री महत्वपूर्ण है।
- यह 13 वर्षों में पहली बार है जब दोनों ठाकरे एक साथ हैं।
- मुलाकात से परिवार के रिश्तों को मजबूती मिल सकती है।
- आगामी चुनाव में संभावित सहयोग का संकेत।
- यह घटना महाराष्ट्र की राजनीति में नई दिशा दे सकती है।
मुंबई, 27 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। शिवसेना-यूबीटी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के जन्मदिन के अवसर पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने 13 साल बाद मातोश्री में कदम रखा है। यह मातोश्री उद्धव ठाकरे का निवास है, जहां जन्मदिन की बधाई देने के लिए राज ठाकरे 13 वर्षों में पहली बार आए हैं। अंतिम बार जब राज ठाकरे मातोश्री गए थे, वह बालासाहेब ठाकरे के निधन के समय था।
उद्धव ठाकरे ने रविवार को मुलाकात के दौरान राज ठाकरे को गले लगाया और उनकी पीठ थपथपाई। इस दौरान मनसे के नेता बाला नांदगांवकर और नितिन सरदेसाई भी मौजूद थे। इस विशेष अवसर पर, राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर के साथ एक फोटो भी खिंचवाई। एक अन्य तस्वीर में, राज ठाकरे जन्मदिन के अवसर पर उद्धव को फूलों का गुलदस्ता भेंट करते हुए दिखाई दिए।
तस्वीरों में उद्धव ठाकरे अपने परिवार और शिवसेना के नेताओं के साथ केक काटते नजर आए। हालांकि, इस वीडियो में राज ठाकरे नहीं थे।
उद्धव और राज ठाकरे की मुलाकात पर शिवसेना-यूबीटी के नेता अरविंद सावंत ने कहा कि यह खुशी का दिन है। राज ठाकरे का इस अवसर पर मातोश्री आना एक महत्वपूर्ण घटना है, इससे ज्यादा खुशी की बात क्या हो सकती है। ये दोनों नेता महाराष्ट्र के हित के लिए एक साथ आए हैं।
शिवसेना के नेता भास्कर जाधव ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे के जन्मदिन पर राज ठाकरे का मातोश्री आना एक सकारात्मक संकेत है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि आगे चलकर, जब राज ठाकरे का जन्मदिन आएगा, तब उद्धव ठाकरे भी उन्हें बधाई देने अवश्य जाएंगे।
20 वर्षों में यह दूसरी बार है जब राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को एक साथ सार्वजनिक रूप से देखा गया है। उल्लेखनीय है कि राज ठाकरे ने 2005 में उद्धव से मतभेदों के कारण शिवसेना छोड़ी और अपनी अलग पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई। तब से दोनों नेताओं ने चुनावों में एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा की है।
लंबे समय से राजनीतिक रूप से अलग रहे ये दोनों ठाकरे भाई जुलाई महीने की शुरुआत में पहली बार एक साझा मंच पर आए। 5 जुलाई को हिंदी भाषा के विरोध में दोनों ने विजय रैली निकाली थी। उद्धव ठाकरे ने यह संकेत भी दिया था कि वे आगामी नगर निगम चुनाव एक साथ मिलकर लड़ सकते हैं।