क्या डोटासरा ने केंद्र पर आरटीआई कानून को कमजोर करने का आरोप लगाया?

सारांश
Key Takeaways
- आरटीआई कानून का महत्व समझें।
- केंद्र सरकार की नीतियों पर ध्यान दें।
- भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए आरटीआई का उपयोग करें।
- डिजिटल प्रोटेक्शन एक्ट के प्रभाव को समझें।
- सूचना आयोग की स्थिति पर नजर रखें।
जयपुर, 12 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने रविवार को जयपुर में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। इस अवसर पर डोटासरा ने केंद्र की एनडीए सरकार पर सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून को कमजोर करने का गंभीर आरोप
डोटासरा ने पत्रकारों से कहा, "12 अक्टूबर 2005 को यूपीए सरकार ने देश को आरटीआई का मजबूत हथियार प्रदान किया था, जो पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करता है। लेकिन एनडीए सरकार के सत्ता में आते ही इस कानून को धीरे-धीरे कमजोर किया जा रहा है।"
उन्होंने 2023 के डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) एक्ट के अंतर्गत आरटीआई एक्ट की धारा 8(1)(जे) में संशोधन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "इस संशोधन से व्यक्तिगत जानकारी को सार्वजनिक करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है, जबकि पहले सार्वजनिक हित में सूचना देने का प्रावधान था।"
डोटासरा ने कहा, "यह संशोधन आरटीआई को निष्क्रिय बनाने का प्रयास है। अब सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की जानकारी, जैसे मनरेगा या पेंशन वितरण, आरटीआई से नहीं मिलेगी, जिससे भ्रष्टाचार छिपाने का रास्ता साफ हो गया है।"
प्रेस कॉन्फ्रेंस में डोटासरा ने केंद्रीय सूचना आयोग (सीईसी) की स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि सीईसी में 11 पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 2 ही भरे हुए हैं। बाकी 9 पद खाली पड़े हैं, जिससे अपीलों का निपटारा रुका हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2025 में डीओपीटी को सीईसी की नियुक्ति प्रक्रिया के लिए समयसीमा तय करने का निर्देश दिया था, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
डोटासरा ने आरोप लगाया, "यह जानबूझकर की गई साजिश है। आरटीआई कार्यकर्ताओं पर हमले बढ़ रहे हैं, लेकिन सरकार सुरक्षा के लिए व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट को लागू नहीं कर रही है।"
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने आरटीआई को मजबूत किया है, लेकिन केंद्र की नीतियां पूरे देश में पारदर्शिता को कमजोर कर रही हैं। उन्होंने मांग की कि 2019 के आरटीआई संशोधन को रद्द किया जाए, जहां सूचना आयुक्तों की नियुक्ति में सरकार का हस्तक्षेप बढ़ा दिया गया था।
जूली ने कहा, "एनडीए सरकार भ्रष्टाचार छिपाने के लिए आरटीआई को कुचल