क्या पीएम मोदी के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल विपक्ष की घृणित मानसिकता को दर्शाता है? राजेश वर्मा

सारांश
Key Takeaways
- चिराग पासवान के नव संकल्प सम्मेलन में भारी भीड़ दर्शाती है युवाओं का रुझान।
- राजेश वर्मा ने विपक्ष की हताशा पर सवाल उठाया।
- बिहार बंद का उद्देश्य शांति और सद्भाव बनाए रखना है।
पटना, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के सांसद राजेश वर्मा ने कहा कि बिहार में पार्टी के नेता चिराग पासवान के नेतृत्व में आयोजित नव संकल्प सम्मेलन में भारी भीड़ और विशेष रूप से युवाओं का रुझान देखने को मिल रहा है।
उन्होंने दावा किया कि बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद यदि किसी नेता के कार्यक्रम में इतनी बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं, तो वह चिराग पासवान हैं।
राजेश वर्मा ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्षी नेताओं द्वारा पीएम मोदी के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल उनकी संस्कृति और मानसिकता को दर्शाता है। यह पहली बार नहीं है। पहले भी हमारे नेता चिराग पासवान की सभाओं में राजद कार्यकर्ताओं द्वारा गाली दी गई है। यह सब उनकी हताशा का ट्रेलर है। अगर गलती से उनकी सरकार बन जाए, तो बिहार में 2005 से पहले जैसी अराजकता और असुरक्षा का माहौल फिर से लौट सकता है, जब लोग अपनी मां-बहनों की सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते थे।
बिहार बंद के मुद्दे पर बोलते हुए राजेश वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के हालिया संबोधन से लोगों में आक्रोश साफ दिखाई दे रहा है। यह बंद सांकेतिक है, लाठी-डंडों वाला नहीं। सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक यह शांतिपूर्ण और सद्भावपूर्ण होगा। इसका मकसद लोगों को परेशान करना नहीं, बल्कि अपनी बात रखना है। इस दौरान आम जनता को किसी तरह की असुविधा नहीं होगी।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की 20 सीटों की मांग पर राजेश वर्मा ने सधी हुई प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, "एनडीए के वरिष्ठ नेता इस पर फैसला लेंगे। हम इस मुद्दे पर अधिकृत नहीं हैं और अभी इस पर चर्चा करना उचित नहीं है।"
साथ ही जेडीयू को बड़ा भाई मानने के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह फैसला एनडीए के घटक दलों के बीच विचार-विमर्श से होगा। राजेश वर्मा ने कहा, "हमारी कोई मांग नहीं है। हमारे नेता चिराग पासवान इस पर निर्णय लेंगे। हम ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं और मुझे विश्वास है कि इस बार बात इससे आगे बढ़ेगी।