क्या राजनाथ सिंह ने विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि 'भारत ने किसी दबाव में नहीं रोका ऑपरेशन सिंदूर'?

सारांश
Key Takeaways
- ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य आतंकी कैंपों को नष्ट करना था।
- भारत ने सभी निर्धारित लक्ष्य सफलतापूर्वक प्राप्त किए।
- पाकिस्तान ने हार मानते हुए ऑपरेशन रोकने की अपील की।
- यदि पाकिस्तान ने दोबारा कोई हरकत की तो ऑपरेशन फिर से शुरू होगा।
- सैनिकों का मनोबल बहुत ऊँचा था।
नई दिल्ली, 28 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम के संदर्भ में कि भारत ने किसी दबाव में आकर ऑपरेशन को रोका, इस पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह पूरी तरह से गलत है कि भारत ने किसी बाहरी दबाव के चलते सैन्य कार्रवाई रोकी।
राजनाथ सिंह ने सोमवार को लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बयान देते हुए कहा कि भारत ने सभी लक्ष्य सफलतापूर्वक प्राप्त कर लिए थे, जो इस ऑपरेशन के तहत निर्धारित थे।
उन्होंने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य युद्ध छेड़ना नहीं, बल्कि पाकिस्तान में मौजूद उन आतंकी कैंपों को नष्ट करना था, जिन्हें भारत विरोधी गतिविधियों के लिए वर्षों से तैयार किया जा रहा था। हमारी सेनाओं ने केवल उन्हीं ठिकानों को निशाना बनाया, जो सीधे तौर पर भारत में आतंकी गतिविधियों में संलिप्त थे।"
रक्षा मंत्री ने जानकारी दी कि 10 मई की सुबह भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की एक महत्वपूर्ण एयरफील्ड पर निर्णायक हमला किया। इस जवाबी कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने हार मानते हुए भारत के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) से संपर्क कर कार्रवाई रोकने की अपील की।
राजनाथ सिंह ने कहा, "पाकिस्तान के डीजीएमओ ने हमारे डीजीएमओ से संपर्क किया और कहा, 'अब रोकिए।' इसके बाद दोनों पक्षों के बीच संवाद हुआ और हमने यह तय किया कि ऑपरेशन को रोक दिया जाएगा, लेकिन यह ऑपरेशन समाप्त नहीं होगा।"
उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान की ओर से दोबारा कोई हरकत हुई, तो ऑपरेशन फिर से शुरू किया जाएगा।
राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की यह पराजय केवल सैन्य रूप से नहीं, बल्कि उसके मनोबल की भी हार थी। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमारे जवानों के अद्वितीय शौर्य को 140 करोड़ देशवासियों ने देखा और गर्व महसूस किया।
उन्होंने कहा, "मैंने खुद अपनी आंखों से देखा कि हमारे सैनिकों का मनोबल बुलंदी पर था। वे न केवल भारतीय सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि हमारे स्वाभिमान की भी रक्षा कर रहे हैं।"