क्या राज्यसभा में हानिकारक कफ सिरप और घटिया दवाओं का मुद्दा उठाया गया?
सारांश
Key Takeaways
- खाद्य मिलावट एक गंभीर स्वास्थ्य संकट है।
- घटिया दवाइयाँ नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुकी हैं।
- सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।
- दूषित कफ सिरप के सेवन से शिशुओं की जान जा सकती है।
- एफएसएसएआई की कार्रवाई पर सवाल उठाए गए हैं।
नई दिल्ली, 3 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। राज्यसभा में बुधवार को खाद्य मिलावट, निम्न गुणवत्ता वाली दवाइयाँ और हानिकारक कफ सिरप के मुद्दे पर चर्चा की गई। इस दौरान सरकार से तुरंत और कठोर कदम उठाने की मांग की गई। यह विषय शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने उठाया।
उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में खाद्य मिलावट, निम्न गुणवत्ता वाली दवाइयों तथा दूषित कफ सिरप के मुद्दे को सदन के समक्ष रखा। प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि देश के बाजारों में मिलावटी खाद्य पदार्थों और घटिया दवाइयों की उपलब्धता एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुकी है।
उन्होंने बताया कि डॉक्टरों द्वारा लिखे गए कफ सिरप में कई दूषित पाए गए हैं, जिनके सेवन से शिशुओं की मौत तक हो चुकी है। सांसद ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र भी लिखा है। दूषित कफ सिरप से लेकर बाजार में खुलेआम बिक रही कम गुणवत्ता वाली दवाइयाँ और मिलावटी खाद्य पदार्थ, इन सभी पर तुरंत नियंत्रण जरूरी है।
उन्होंने कहा कि मिलावटी खाद्य पदार्थ भी बेहद खतरनाक हैं और यह कैंसर जैसे गंभीर रोगों का कारण बनते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मिलावट का यह कारोबार हर परिवार के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन चुका है। उन्होंने एफएसएसएआई की कार्रवाई पर सवाल उठाए।
राज्यसभा में बोलते हुए उन्होंने कहा कि रैंडम एफएसएसएआई रेड मीडिया में सुर्खियों में आती हैं, लेकिन असलियत में इसके परिणाम दिखाई नहीं देते। प्रियंका चतुर्वेदी ने नियम तोड़ने वालों पर कठोर दंड और सख्त प्रवर्तन की आवश्यकता बताई। उन्होंने सदन से आग्रह किया कि सरकार ऐसी मिलावट और घटिया दवाइयों पर राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक अभियान, कठोर दंडात्मक कार्रवाई, और नियमित बाजार निगरानी लागू करे, ताकि नागरिकों की सेहत सुरक्षित रह सके।
वहीं, शून्य काल के दौरान कांग्रेस सांसद नीरज डांगी ने बैंकों का मुद्दा सदन के समक्ष उठाया। उन्होंने कहा कि किसी बैंक के डूब जाने पर खाताधारक को अधिकतम 5 लाख रुपए का बीमा कवर मिलता है। उन्होंने इसे अपर्याप्त बताया। डांगी ने कहा कि जिन बुजुर्गों के खातों में 5 लाख से अधिक जमा हैं, उन्हें इस स्थिति में गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
उन्होंने बैंक की इस इंश्योरेंस गारंटी को 25 लाख रुपए तक बढ़ाने की बात सदन में रखी। डांगी ने कहा कि 5 लाख रुपए का इंश्योरेंस बढ़ाकर कम से कम 25 लाख रुपए किया जाना चाहिए ताकि बुजुर्ग व्यक्तियों को इसका अधिकतम लाभ मिल सके।