क्या राज्यसभा में चर्चा की मांग पर अड़ा विपक्ष, हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित?

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क्या राज्यसभा में चर्चा की मांग पर अड़ा विपक्ष, हंगामे के बाद कार्यवाही स्थगित?

सारांश

राज्यसभा में विपक्ष की हंगामे के बीच मतदाता सूची पर चर्चा की मांग को लेकर स्थिति गर्मा गई। उपसभापति ने नियमों का हवाला देकर अनुमति नहीं दी, जिससे कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। जानें, इस पूरे घटनाक्रम का क्या है असर।

Key Takeaways

  • राज्यसभा में हंगामा विपक्ष की मतदाता सूची पर चर्चा की मांग को लेकर हुआ।
  • उपसभापति ने नियमों का हवाला देकर अनुमति देने से इनकार किया।
  • विपक्ष ने नियम 267 के तहत चर्चा की मांग की है।
  • इस हंगामे से 56 घंटे 49 मिनट का समय गंवाया गया है।
  • कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा की मांग की।

नई दिल्ली, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। राज्यसभा में शुक्रवार को एक बार फिर हंगामा देखने को मिला। विपक्ष के सांसद मतदाता सूची के गहन रिव्यू पर चर्चा की मांग को लेकर अड़े रहे। हालांकि, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण ने नियमों का हवाला देते हुए इसकी अनुमति नहीं दी।

इस पर विपक्षी सांसदों में नाराज़गी फैल गई। सांसदों ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी, जिससे सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। हंगामे के बीच, उपसभापति हरिवंश नारायण ने बताया कि संसद में लगातार हो रहे व्यवधान के कारण अब तक हम 56 घंटे 49 मिनट का समय गंवा चुके हैं।

उन्होंने राज्यसभा में प्रश्नकाल और शून्यकाल को शांतिपूर्ण तरीके से चलाने का अनुरोध किया। वहीं, विपक्ष का कहना था कि वे जनता से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर नियम 267 के तहत चर्चा करना चाहते हैं। कई विपक्षी सांसदों ने इसके लिए उप उपसभापति को नोटिस भी दिया था। उपसभापति ने बताया कि नियम 267 के तहत चर्चा के लिए 20 सदस्यों ने नोटिस दिया है।

उपसभापति ने कहा कि जब से यह सत्र शुरू हुआ है, विभिन्न सांसद अलग-अलग विषयों पर रोज नियम 267 के तहत नोटिस दे रहे हैं। यह ध्यान देने वाली बात है कि नियम 267 के अंतर्गत सदन की अन्य सभी कार्यवाहियों को स्थगित करके संबंधित विषय पर चर्चा कराई जाती है, और इसके अंत में वोटिंग का भी प्रावधान है। उन्होंने सांसदों से सवाल किया कि क्या सभी नोटिसों को स्वीकार करना संभव है।

उपसभापति का कहना था कि ऐसा लगता है कि कई सदस्य नियम 267 को एक टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

वहीं, सदन में कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा कि पूरा विपक्ष चाहता है कि सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण तरीके से चले, जैसा कि आप (उपसभापति) भी चाहते हैं। प्रमोद तिवारी ने 267 पर सुझाव दिया और कहा कि जब देश के लोकतंत्र पर खतरा हो, तब यह आवश्यक हो जाता है।

वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरिक ओ ब्रायन ने कहा कि हम सोमवार को केवल बिहार में चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे मतदाता सूची के गहन रिव्यू का मामला उठाएंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष के सभी सांसद एकमत होकर केवल इसी विषय पर चर्चा का नोटिस देंगे। सीपीआईएम के सांसद जॉन बिटास ने भी नियम 267 के पक्ष में अपनी बात रखने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि संसद के नियमों में स्पष्ट कहा गया है कि सांसद तय नियम के तहत 267 का नोटिस दे सकते हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि सदन में हो रहे हंगामे का प्रभाव लोकतंत्र की कार्यप्रणाली पर पड़ता है। विपक्ष का मुद्दा महत्वपूर्ण है, लेकिन चर्चा के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। इस स्थिति में संतुलन बनाना आवश्यक है।
NationPress
08/08/2025

Frequently Asked Questions

राज्यसभा में हंगामा क्यों हुआ?
राज्यसभा में विपक्ष ने मतदाता सूची के गहन रिव्यू पर चर्चा की मांग की, जिसे उपसभापति ने अनुमति नहीं दी।
नियम 267 क्या है?
नियम 267 के तहत सदन की अन्य कार्यवाहियों को स्थगित करके किसी विषय पर चर्चा की जाती है।
हंगामे के कारण कार्यवाही कब स्थगित हुई?
हंगामे के कारण कार्यवाही शुक्रवार को स्थगित की गई।
उपसभापति हरिवंश नारायण ने क्या कहा?
उपसभापति ने बताया कि व्यवधान के कारण सदन में 56 घंटे 49 मिनट का समय गंवाया गया है।
विपक्ष का क्या कहना है?
विपक्ष का कहना है कि वे जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करना चाहते हैं।