क्या रक्षाबंधन पर तिब्बती महिला संघ और भारत-तिब्बत सहयोग मंच की बहनों ने मोहन भागवत को राखी बांधी?

सारांश
Key Takeaways
- रक्षाबंधन भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है।
- इस दिन सामाजिक जिम्मेदारी को भी दर्शाया जाता है।
- तिब्बती महिला संघ और भारत-तिब्बत सहयोग मंच ने एकता का संदेश दिया।
- भारतीय सेना के जवानों को भी सम्मानित किया गया।
- रक्षाबंधन पर स्नेह और सम्मान का आदान-प्रदान होता है।
नागपुर, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। पूरे देश में शनिवार को रक्षाबंधन का पर्व उत्साह और खुशी के साथ मनाया जा रहा है। भाई-बहन के संबंधों को समर्पित इस विशेष अवसर पर, नागपुर में क्षेत्रीय तिब्बतियन महिला संघ और भारत तिब्बत सहयोग मंच की बहनों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत को राखी बांधी।
इस कार्यक्रम में, नागपुर में तिब्बती महिला संघ और भारत-तिब्बत सहयोग मंच की बहनों ने मोहन भागवत को राखी बांधकर उनकी स्वस्थ्य और दीर्घकालिक जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर, राष्ट्र सेविका समिति, महल परिसर की निवासी और दिशा 30 की बहनों ने भी मोहन भागवत की कलाई पर राखी बांधकर उन्हें शुभकामनाएं दीं।
इसी दिन, दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास, 7 लोक कल्याण मार्ग पर भी रक्षाबंधन की खुशी का माहौल था। विभिन्न स्कूलों की छात्राओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राखी बांधी और उनकी दीर्घायु की कामना की। इस अवसर पर, प्रधानमंत्री मोदी ने भी आत्मीयता के साथ सभी छात्राओं का स्वागत किया और उनके साथ समय बिताया।
रक्षाबंधन के इस पावन अवसर पर, भारतीय सेना के दक्षिणी कमान के जवानों को भी बच्चियों ने राखी बांधकर सम्मानित किया। संस्कृति फाउंडेशन के स्वयंसेवकों और बच्चों ने बाइसन डिवीजन के सैनिकों के साथ यह पर्व मनाया। दक्षिणी कमान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “रक्षाबंधन पर हमारे सैनिक कभी अपने परिवार से दूर नहीं होते। यह समर्पण, सम्मान और स्नेह का बंधन, राष्ट्र निर्माण में हमारे संकल्प को और मजबूत करता है।”
इसके अतिरिक्त, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी को भी नन्हीं बच्चियों ने राखी बांधकर सम्मानित किया। सेना प्रमुख का हाथ, जो देश की रक्षा का प्रतीक है, पवित्र राखियों से सज गया। यह दृश्य इस बात का प्रतीक बना कि भारतीय सेना हर परिस्थिति में देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए तत्पर है और देशवासियों का भरोसा अटूट है।
रक्षाबंधन पर्व का सार बहनों द्वारा भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना तथा भाइयों द्वारा बहनों की रक्षा का वचन है। इस वर्ष, यह पर्व केवल रिश्तों का ही नहीं, बल्कि राष्ट्र और समाज के प्रति जिम्मेदारी के बंधन का भी प्रतीक बन गया है।