क्या राम जेठमलानी ने वकालत से लेकर राजनीति तक का बेबाक सफर तय किया?

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क्या राम जेठमलानी ने वकालत से लेकर राजनीति तक का बेबाक सफर तय किया?

Key Takeaways

  • राम जेठमलानी ने वकालत में अपनी अद्वितीय शैली से सभी को प्रभावित किया।
  • वे राजनीति में भी अपने बेबाक विचारों के लिए जाने जाते थे।
  • उनका जीवन संघर्ष और सफलता की मिसाल है।
  • उन्हें कई प्रसिद्ध मामलों में पैरवी करने का अवसर मिला।
  • उनके और लालू यादव के बीच के संबंध भी चर्चा का विषय रहे।

नई दिल्ली, 7 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। राम जेठमलानी, जो देश के प्रमुख वकीलों में से एक माने जाते हैं, अपनी बेबाकी और बिंदास शैली के लिए प्रसिद्ध रहे हैं। उन्होंने अदालत में अपनी तेज दलीलों से वर्षों तक वकालत का लोहा मनवाया। एक रुपए की फीस से वकालत का सफर शुरू करने वाले राम जेठमलानी के जीवन में वह समय भी आया, जब बहुत से क्लाइंट उनकी फीस का भुगतान नहीं कर सकते थे। आइए जानते हैं उनकी पुण्यतिथि पर उनके जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलू।

राम जेठमलानी भारतीय राजनीति और विधि क्षेत्र में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व माने जाते हैं। उन्होंने लगभग 75 साल तक वकालत की। उन्होंने कई चर्चित मामलों की पैरवी की, जिनमें नानावटी और इंदिरा गांधी के हत्यारों का केस शामिल है। आसाराम से लेकर अफजल गुरु तक, उन्होंने कई प्रमुख मामलों में अपील की थी। उनके क्लाइंट में संजय दत्त भी शामिल थे।

उन्होंने 1993 के मुंबई दंगों से जुड़े टाडा मामले में संजय दत्त को बेल दिलवाई थी, लेकिन उनके बीच एक समय पर मतभेद उत्पन्न हो गए थे। हालांकि, बाद में संजय दत्त ने जेठमलानी को माफ कर दिया।

जेठमलानी ने कहा था कि संजय दत्त का लोकसभा सदस्य बनना देश की सुरक्षा के लिए खतरा होगा। सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट प्रदीप राय ने 'इंडिया लीगल लाइव' पर जेठमलानी के बारे में लिखा है कि भले ही उन्होंने संजय दत्त को जमानत दिलवाई, लेकिन उनके रिश्ते में खटास थी।

एक बार, दिल्ली एयरपोर्ट के लाउंज में दोनों आमने-सामने आए। जेठमलानी ने संजय दत्त से माफी मांगी और उनकी आँखों में आंसू आ गए।

उनकी राजनीतिक यात्रा भी उतनी ही रोचक रही है, जितनी उनकी वकालत। वे भारत में आपातकाल (1975-77) के दौरान बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रहे। उन्होंने 1971 के आम चुनावों में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और 1980 में अपनी सीट बरकरार रखी।

1988 में, वे राज्यसभा के सदस्य बने और 1996 में केंद्रीय कानून मंत्री नियुक्त हुए। 2013 में, पार्टी विरोधी टिप्पणी के कारण उन्हें भाजपा से निष्कासित कर दिया गया।

राम जेठमलानी और लालू यादव के संबंध व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों स्तरों पर मधुर रहे। 2016 में, जब राजद ने उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया, तो यह राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बना। जेठमलानी ने चारा घोटाले से जुड़े मामलों में लालू का बचाव किया।

राम जेठमलानी का जन्म 14 सितंबर 1923 को सिंध (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। विभाजन के बाद, उन्होंने मुंबई में अपने करियर की शुरुआत की। उनका निधन 8 सितंबर 2019 को हुआ।

Point of View

राम जेठमलानी ने न केवल न्यायपालिका में, बल्कि राजनीति में भी अपने विचारों को खुलकर प्रस्तुत किया। उनके जीवन की कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि कैसे एक व्यक्ति अपने सिद्धांतों के लिए खड़ा रह सकता है।
NationPress
07/09/2025

Frequently Asked Questions

राम जेठमलानी का जन्म कब और कहाँ हुआ?
राम जेठमलानी का जन्म 14 सितंबर 1923 को सिंध (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ।
राम जेठमलानी ने किस मामले में संजय दत्त का बचाव किया?
उन्होंने 1993 के मुंबई दंगों से जुड़े टाडा मामले में संजय दत्त का बचाव किया।
राम जेठमलानी के राजनीतिक करियर के बारे में क्या जानना चाहिए?
उन्होंने 1971 के आम चुनावों में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और बाद में राज्यसभा के सदस्य बने।
राम जेठमलानी और लालू यादव के संबंध कैसे थे?
उनके संबंध व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों स्तरों पर मधुर रहे, और उन्होंने लालू का कई मामलों में बचाव किया।
राम जेठमलानी का निधन कब हुआ?
उनका निधन 8 सितंबर 2019 को हुआ।