क्या पीएम मोदी के चेहरे पर भगवान राम के प्रति समर्पण झलक रहा है?
सारांश
Key Takeaways
- राम मंदिर का ध्वजारोहण एक महत्वपूर्ण घटना है।
- पीएम मोदी ने ध्वजा फहराकर भक्ति का प्रतीक प्रस्तुत किया।
- डिजाइनर मनीष त्रिपाठी ने इस अवसर को भावुक बताया।
- अयोध्या में बदलावों ने धार्मिक महत्व को और बढ़ाया है।
- समर्पण और विनम्रता का प्रतीक पीएम मोदी का चेहरा।
अयोध्या, 25 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। राम मंदिर का ध्वजारोहण मंगलवार को एक ऐतिहासिक क्षण के रूप में संपन्न हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी ने 7 हजार से अधिक अतिथियों के समक्ष अभिजीत मुहूर्त में केसरिया ध्वजा फहराकर देश को प्रभु श्रीराम की भक्ति से सराबोर कर दिया।
इस ध्वजारोहण की अवसर पर रामलला, मां जानकी, उनके भाईयों और हनुमान जी के वस्त्र तैयार करने वाले डिजाइनर मनीष त्रिपाठी भी उपस्थित थे। उनके सामने इतने पवित्र पल को देखकर मनीष की आंखों में आंसू आ गए। उन्होंने पीएम मोदी को भगवान राम का सच्चा सेवक बताया।
मनीष त्रिपाठी ने राम मंदिर के ध्वजारोहण पर बात करते हुए राष्ट्र प्रेस को बताया, "यह ध्वजारोहण वास्तव में भावुक कर देने वाला पल था। इतने वर्षों का इंतजार इस पल का साक्षी बनकर देखना, ध्वजा को शिखर तक जाते हुए देखना, ये पल आंखों में आंसू ले आए। मुझे गर्व महसूस हो रहा है कि मुझे इस अनमोल क्षण का गवाह बनने का अवसर मिला।"
उन्होंने आगे कहा कि जिस स्थान पर वे बैठे थे, उसी स्थान से पीएम मोदी ध्वजारोहण के लिए आए थे। उन्होंने कहा, "पहले केवल उन्हें कैमरे पर देखा था, लेकिन आज सामने से देखने पर उनके चेहरे पर जो सुकून और विनम्रता थी, वो अद्भुत थी। आज मैंने भगवान राम के प्रति उनके समर्पण को बहुत करीब से देखा।"
मंगलवार की सुबह ध्वजारोहण से पूर्व मनीष त्रिपाठी ने अयोध्या और अपने बचपन की यादों को ताजा किया। उन्होंने कहा, "मैं अंबेडकर नगर के निकट एक गांव का निवासी हूं, और जब हम बचपन में अयोध्या आते थे, तब और आज की अयोध्या में बहुत फर्क है। आज राजा का महल बनकर तैयार है और भगवान श्रीराम ने महल में अपना स्थान ग्रहण कर लिया है। इसके लिए मैं दिल से पीएम मोदी और सीएम योगी को धन्यवाद देना चाहता हूं।"
यह भी उल्लेखनीय है कि राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के समय मनीष त्रिपाठी को रामलला के कपड़े डिजाइन करने का सौभाग्य मिला था। उन्होंने बताया कि जब उन्हें राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से कॉल आया था, तो यह उनके लिए 'टॉप ऑफ द वर्ल्ड' जैसी अनुभूति थी।