क्या रमा एकादशी पर भांग से हुआ बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार?

सारांश
Key Takeaways
- रमा एकादशी का उत्सव हर साल बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
- बाबा महाकाल का श्रृंगार खास अवसरों पर भिन्न तरीके से किया जाता है।
- भक्तों की लंबी कतारें इस बात का प्रमाण हैं कि बाबा महाकाल की आस्था कितनी गहरी है।
- महाकाल मंदिर का दक्षिणमुखी शिवलिंग भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करता है।
- भस्म आरती के बाद बाबा का दिव्य स्वरूप दर्शनों के लिए प्रस्तुत किया जाता है।
उज्जैन, 17 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। शुक्रवार को पूरे देश में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी का उत्सव मनाया जा रहा है। इस एकादशी का महत्व गुरुवार से शुरू हुआ था और इसका मुहूर्त शुक्रवार को 11 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। रमा एकादशी के इस विशेष अवसर पर उज्जैन के बाबा महाकाल का श्रृंगार भांग से किया गया है। भांग से बाबा के त्रिनेत्र बनाए गए हैं और दर्शन के लिए मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई।
शुक्रवार को प्रातः काल बाबा महाकाल की भस्म आरती के दौरान भक्तों का तांता लगा रहा। आरती के बाद बाबा को दूध, दही, घी, शक्कर, पंचामृत और फलों के रस से जलाभिषेक किया गया और फिर उनका दिव्य श्रृंगार किया गया। मंदिर के पुजारी पंडित महेश शर्मा के अनुसार, आज का श्रृंगार विशेष है क्योंकि बाबा को भांग से सजाया गया है। भांग से बाबा के त्रिनेत्र और माथे पर त्रिपुंड सजाया गया है। इसके अलावा, नए मुकुट, रुद्राक्ष और मुंड माला भी बाबा को पहनाई गई। बाबा का यह स्वरूप भक्तों को आकर्षित कर रहा था।
बाबा के इस दिव्य रूप के दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतार लगी रही। भक्तों ने श्रृंगार के बाद बाबा के दर्शन किए और 'जय श्री महाकाल' के जयघोष से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा। बाबा के इस स्वरूप की मान्यता अनूठी है। कहा जाता है कि भस्म आरती के बाद श्रृंगार करने पर बाबा भक्तों को दर्शन देते हैं। भस्म आरती के समय महिलाओं को घूंघट करना होता है, क्योंकि बाबा निराकार रूप में होते हैं। श्रृंगार के बाद महिलाएं और पुरुष दोनों ही बाबा के दर्शन कर सकते हैं।
हर दिन बाबा का श्रृंगार अलग-अलग तरीके से किया जाता है और भक्त दूर-दूर से उनके दर्शन के लिए आते हैं। बाबा की भस्म आरती प्रातः 4 बजे होती है और भस्म हमेशा महानिर्वाणी अखाड़े की तरफ से अर्पित की जाती है। आरती के बाद बाबा का श्रृंगार किया जाता है, जिसके बाद भक्त बारी-बारी से दर्शन करते हैं।
उज्जैन महाकाल मंदिर की मान्यता बहुत गहरी है। यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जहां बाबा का शिवलिंग दक्षिणमुखी है, जिसे मनोकामना पूर्ण करने के लिए फलदायी माना जाता है। भक्त दूर-दूर से अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए बाबा के दर्शन करने आते हैं।