क्या रामानंद सागर का वह किस्सा आपको पता है, जब 'रामायण' के कलाकारों की शरारत से परेशान होकर तीन दिन उन्होंने सांप अपने पास रखे?

Click to start listening
क्या रामानंद सागर का वह किस्सा आपको पता है, जब 'रामायण' के कलाकारों की शरारत से परेशान होकर तीन दिन उन्होंने सांप अपने पास रखे?

सारांश

एक रोचक किस्सा है रामानंद सागर का, जब उन्होंने बाल कलाकारों की शरारत से परेशान होकर सांप को तीन दिन अपने पास रखा। जानें इस मजेदार घटना के पीछे की कहानी और रामायण के निर्माण की प्रक्रिया में उनके संघर्ष।

Key Takeaways

  • रामानंद सागर ने 'रामायण' को घर-घर पहुंचाया।
  • बाल कलाकारों की शरारतें कभी-कभी परेशानी में डाल देती थीं।
  • रामानंद सागर का संघर्ष और मेहनत अद्भुत है।
  • भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने में उनका योगदान महत्वपूर्ण था।
  • उन्होंने कई फिल्मों और धारावाहिकों का निर्माण किया।

नई दिल्ली, 11 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। एक ऐसा भी समय था, जब प्रसिद्ध टीवी धारावाहिक 'रामायण' दूरदर्शन पर प्रसारित होता था, तो सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था। लोग अपनी दुकानें बंद कर देते थे, मानो जैसे कर्फ्यू लग गया हो। परिवार और पड़ोसी सभी खामोश होकर टीवी के सामने बैठ जाते थे। इस दौर में भगवान 'राम' को पहली बार बड़े पर्दे पर लाने का कार्य रामानंद सागर ने किया। आज भले ही रामानंद सागर इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उन्होंने 'रामायण' को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के लिए लिखकर इसे घर-घर तक पहुंचाया।

रामानंद सागर ने भगवान राम को करोड़ों दर्शकों के सामने इस तरह प्रस्तुत किया कि वे घर-घर में पूजे जाने लगे और उन्हें 'टीवी के राम' के रूप में जाना जाने लगा। यह एक ऐसा कार्य था जिसने भारतीय टेलीविजन पर एक नई परंपरा स्थापित की और उन्हें भगवान राम के चित्रण में एक मील का पत्थर माना जाता है। हालांकि, 'रामायण' से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा उनके जीवन में तब आया, जब यह निर्माता, निर्देशक और लेखक अपने ही कलाकारों से इतने परेशान हो गए कि उन्हें सेट पर सांप की टोकरी रखने की नौबत आ गई।

यह कहानी दो बाल कलाकारों की है, जिन्होंने धारावाहिक 'रामायण' की शूटिंग के दौरान रामानंद सागर को काफी परेशान किया। ये बाल कलाकार थे 'लव-कुश' (स्वप्निल जोशी और मयूरेश क्षेत्रमाडे)।

रामानंद सागर को धारावाहिक 'रामायण' के लिए बाल कलाकारों की आवश्यकता थी। एक दिन जब वे कानपुर गए, तब उन्होंने एक टैक्सी पर 'लव-कुश' लिखा देखा। उन्होंने उस टैक्सी को रोका और पता किया कि ये किसके नाम हैं। टैक्सी चालक ने बताया कि ये उनके नाम के बेटे हैं। लव-कुश से मिलने के लिए रामानंद सागर के अंदर जिज्ञासा थी।

परिवार के लोग 'लव-कुश' से रामानंद सागर को मिलाने के लिए तैयार हो गए। जब उन्होंने पहली बार उस जोड़ी को देखा, तो वे हैरान रह गए, क्योंकि वे दोनों बच्चे बहुत शरारती थे। रामानंद सागर ने दोनों बच्चों को टेस्ट के लिए बुलाया। जब वे टेस्ट में सफल हुए, तो शूटिंग शुरू हुई। यहां से उनके 'लव-कुश' जोड़ी को संभालने की रामानंद सागर की परीक्षा शुरू हो गई।

रोचक बात यह है कि एक दिन की शूटिंग छह दिनों में पूरी हुई और इस दौरान जोड़ी ने रामानंद सागर को पसीना-पसीना कर दिया। आलम यह था कि मेकअप करके दोनों आ जाते थे, कैमरा-लाइट सब चालू कर दिए जाते थे, लेकिन अचानक से दोनों शूटिंग से मना कर देते थे। एक दिन इसी तरह समय बीत गया। अगले दिन उन्होंने एक योजना बनाई और स्टाफ के दो सदस्यों को डंडे से मारा और एक टेबल को भी तोड़ दिया ताकि 'लव-कुश' डर जाएं और काम पूरा करें। इसका असर भी दिखा और दो-चार घंटे काम हुआ, लेकिन शरारती बच्चे भला मानते कैसे। रात की शरारत अगले दिन सेट पर दिखी, जब 'लव-कुश' दोनों हाथों में डंडे लेकर लौट आए।

बाल कलाकारों की शरारत ऐसी थी कि वे निर्देशक के लिए ही डंडा लेकर खड़े हो गए। संयोगवश उसी दिन शूटिंग के लिए सांपों को वहां लाया गया था, लेकिन इससे दोनों बाल कलाकार डर गए थे और यही चाबी अब रामानंद के हाथ में आ चुकी थी। सांप आने के बाद दोनों ने जिस तरह से चाहा, उसी प्रकार काम किया। मजेदार बात यह रही कि सिर्फ एक दिन के लिए उन सांपों को लाया गया था, लेकिन दोनों बाल कलाकारों की शरारत के कारण रामानंद सागर ने तीन दिन तक उन सांपों को अपने पास रखा। रामानंद सागर ने एक इंटरव्यू में इस पूरे किस्से को हंसते-हंसते सुनाया था।

रामानंद सागर ने अपनी भारतीय संस्कृति और धर्म के प्रति अटूट आस्था के कारण 'रामायण' जैसे कालजयी धारावाहिक बनाए, जो उन्हें 'तुलसी' का आधुनिक अवतार बनाते थे, जबकि उनका असली नाम चंद्रमौली चोपड़ा था। उन्होंने जीवन में अनेक बाधाओं के बावजूद 'सागर' उपनाम अपनाया और 'सागर आर्ट्स' के साथ फिल्मों और टीवी में सफलता प्राप्त की।

29 दिसंबर 1917 को लाहौर के निकट 'असल गुरु' नामक कस्बे में रामानंद सागर का जन्म हुआ। उनका बचपन का नाम चंद्रमौली था, जो भगवान शिव के नाम का एक पर्याय है। माता-पिता का प्यार तो नहीं मिला, लेकिन उनकी नानी ने उन्हें गोद लेकर जीवन संघर्ष के वे सभी अनुभव सिखा दिए, जो दुनिया में जीने के लिए बेहद आवश्यक थे। चंद्रमौली को रामानंद नाम देने वाली भी उनकी नानी थीं।

जीवन के संघर्ष जल्द खत्म होने वाले नहीं थे। पढ़ाई का शौक था, लेकिन जरूरतें अधिक थीं। परिवार को संभालने और दो वक्त की रोटी के लिए मेहनत करना मजबूरी थी। साबुन बेचने से लेकर सुनार की दुकान पर हेल्पर और एक ट्रक क्लीनर तक, उन्होंने वह सब कुछ किया जो हालातों ने कराया।

रामानंद सागर ने अपने फिल्मी सफर की शुरुआत बतौर 'क्लैपर बॉय' 1936 में आई 'राइडर्स टू द रेलरोड' से की। उन्होंने जीवन यापन के साथ लेखन के हुनर को बनाए रखा। भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दर्द को भी उन्होंने बेहद करीब से महसूस किया। उस वक्त 30 वर्षीय रामानंद सागर 5 बच्चों के पिता थे। बंटवारे के दौर के अपने अनुभवों के मद्देनजर उन्होंने प्रसिद्ध उपन्यास 'और इंसान मर गया' लिखा। उसी दौरान रामानंद सागर लाहौर छोड़कर श्रीनगर आ गए, लेकिन पाकिस्तान समर्थित आर्मी ने श्रीनगर पर हमला किया था। रामानंद सागर अपने परिवार के लगभग 13 सदस्यों के साथ चार दिनों तक उस खौफनाक मंजर के बीच रहे।

यहां से शरणार्थियों के तौर पर उनका परिवार दिल्ली पहुंच गया था। बाद में रामानंद सागर की प्रतिभा को देखते हुए उस समय के मशहूर लेखकों ने उन्हें मुंबई जाकर फिल्मकारों से मिलने की सलाह दी थी। भविष्य में मुंबई समेत पूरे देश ने उन्हें अपने दिलों में स्थान दिया। उन्होंने कई लघु कथाएं और नाटक लिखे। जिंदगी के कई उतार-चढ़ावों को झेलते हुए अंततः रामानंद सागर ने 1950 में अपना प्रोडक्शन हाउस खोला और कई फिल्में बनाई।

धारावाहिक 'रामायण' को बनाने से पहले उन्होंने रामायण ग्रंथ के कई संस्करण पढ़े। विभिन्न भाषाओं में रामायण का गहन अध्ययन किया। इसके बाद दूरदर्शन के साथ 'रामायण' धारावाहिक की शुरुआत हुई।

12 दिसंबर की तारीख फिल्मी जगत के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए दुखद थी। साल 2005 में इस दिन रामानंद सागर का निधन हो गया।

Point of View

बल्कि हमें यह भी याद दिलाता है कि किसी भी सफल परियोजना में चुनौतियों का सामने करना आवश्यक होता है।
NationPress
11/12/2025

Frequently Asked Questions

रामानंद सागर ने 'रामायण' धारावाहिक कब बनाया?
रामानंद सागर ने 'रामायण' धारावाहिक 1987 में बनाया।
रामानंद सागर का असली नाम क्या था?
रामानंद सागर का असली नाम चंद्रमौली चोपड़ा था।
'रामायण' धारावाहिक में 'लव-कुश' के पात्र कौन थे?
'रामायण' धारावाहिक में 'लव-कुश' के पात्र स्वप्निल जोशी और मयूरेश क्षेत्रमाडे ने निभाए थे।
रामानंद सागर का जन्म कब हुआ था?
रामानंद सागर का जन्म 29 दिसंबर 1917 को हुआ था।
रामानंद सागर का निधन कब हुआ?
रामानंद सागर का निधन 12 दिसंबर 2005 को हुआ।
Nation Press