क्या हिंदी भाषा का सम्मान होना चाहिए? : केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले

सारांश
Key Takeaways
- हिंदी भाषा का सम्मान होना चाहिए।
- महाराष्ट्र में हिंदी के खिलाफ हो रही राजनीति पर नाराजगी।
- हिंदी को वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाना आवश्यक।
- भाषा के नाम पर विभाजन नहीं होना चाहिए।
- राष्ट्रीय एकता के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए।
मुंबई, 26 जून (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने महाराष्ट्र में हिंदी भाषा के प्रति सम्मान को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा कि हिंदी हमारी भाषा है और इसका सम्मान होना चाहिए। उन्होंने महाराष्ट्र में हिंदी के खिलाफ हो रही राजनीति पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और घोषणा की कि उनकी पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया, इस मुद्दे पर रैली का आयोजन करेगी। आठवले ने कहा कि हिंदी को लेकर किसी भी प्रकार की राजनीति को सहन नहीं किया जाएगा।
आठवले ने कहा कि भारत में अनेक भाषाएँ हैं, जैसे मराठी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, ओड़िया और बंगाली। लेकिन, देश में एक सामान्य भाषा की आवश्यकता है, जिसके लिए संविधान सभा और बाबासाहेब आंबेडकर ने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में चुना।
उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदी का सम्मान सभी को करना चाहिए। महाराष्ट्र में कुछ लोग हिंदी के खिलाफ बोल रहे हैं, विशेषकर राज ठाकरे की पार्टी, जिसका आठवले ने विरोध किया।
आठवले ने कहा कि मराठी मीडियम स्कूलों में हिंदी को वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए, ताकि दोनों भाषाओं का सम्मान हो।
उन्होंने यह भी कहा कि हिंदी और मराठी दोनों का महत्व है। जैसे अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में मराठी पढ़ाई जाती है, वैसे ही मराठी मीडियम स्कूलों में हिंदी को शामिल करना चाहिए। उन्होंने इसे एकता का प्रतीक बताया और कहा कि भाषा के नाम पर विभाजन ठीक नहीं है।
इसके अलावा, उन्होंने बताया कि राजनाथ सिंह ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया। लेकिन, बैठक के दस्तावेज़ में इसका जिक्र नहीं था। इसके चलते राजनाथ सिंह ने दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। आठवले ने इसे राजनाथ सिंह की स्पष्ट और साहसिक भूमिका बताया और उनकी सराहना की।
आठवले ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर विपक्षी नेता, जैसे शशि थरूर और मल्लिकार्जुन खड़गे, ने भी मोदी की प्रशंसा की है।
उन्होंने कहा कि जब देश की बात आती है, तो सभी को एकजुट होकर प्रधानमंत्री का साथ देना चाहिए। आठवले ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ नेता बेवजह आलोचना करते हैं। लेकिन, आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में भारत ने 22 घंटे में दुश्मनों को जवाब दिया, जो मोदी के नेतृत्व का परिणाम है।
आठवले ने राहुल गांधी पर भी सवाल उठाए और कहा कि विपक्ष को देशहित में सरकार का साथ देना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से अपील की कि वे आतंकवाद जैसे मुद्दों पर एकजुटता दिखाएं।
आठवले ने कहा कि उनकी पार्टी हिंदी भाषा के सम्मान और राष्ट्रीय एकता के लिए काम करती रहेगी।