क्या रांची जेल में कैदियों की डांस पार्टी का वीडियो सरकार की नाकामी को उजागर करता है?
सारांश
Key Takeaways
- जेल में कैदियों के डांस का वायरल वीडियो विवादित हो गया है।
- जेल विभाग में उच्चाधिकारियों की मिलीभगत का आरोप।
- बाबूलाल मरांडी ने सरकार की नाकामी पर सवाल उठाए।
- जेल के आईजी ने कार्रवाई की लेकिन क्या यह पर्याप्त है?
- झारखंड हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई की मांग।
रांची, ६ नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल में दो 'रसूखदार' कैदियों का एक डांस वीडियो तेजी से वायरल हो गया है। इस वीडियो में, शराब घोटाले के आरोपी छत्तीसगढ़ के व्यवसायी विधु गुप्ता और जीएसटी घोटाले का सामना कर रहे जमशेदपुर के विक्की को मस्ती में डांस करते हुए देखा जा सकता है। बुधवार को इस मुद्दे के उजागर होने के बाद झारखंड के जेल विभाग में हड़कंप मच गया।
जेल के आईजी ने जेलर देवनाथ राम और जमादार विनोद कुमार को निलंबित कर दिया है। इस घटना के चलते राज्य में राजनीतिक भूचाल आ गया है।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस घटनाक्रम पर हेमंत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार के संरक्षण में कुछ प्रमुख कैदी, जेल विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से जेल में अवैध गतिविधियों और ऐश-आय्याशी का संचालन कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने पहले ही सरकार को इस बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा, जेल में गैरकानूनी गतिविधियों का विरोध करने वाले अधिकारी रॉबर्ट निशांत बेसरा का तबादला कर दिया गया।
मरांडी ने कहा कि वायरल वीडियो के प्रकाश में आने के बाद केवल दो कर्मचारियों को निलंबित करना मात्र खानापूर्ति है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि हजारीबाग जेल में गड़बड़ी के कारण निलंबित किए गए कारापाल दिनेश वर्मा को केवल २० दिन के भीतर फिर से बिरसा मुंडा जेल का प्रभारी क्यों बना दिया गया?
उन्होंने कहा, "जेल में चल रहा यह गंदा खेल छोटे कर्मचारियों के बस की बात नहीं है। बिना उच्चाधिकारियों की अनुमति और सहमति के यह संभव नहीं है। इसके लिए जेल आईजी सीधे जिम्मेदार हैं और उनके खिलाफ निलंबन की कार्रवाई होनी चाहिए।"
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जिस हाई-प्रोफाइल कैदी का डांस करते हुए वीडियो वायरल हुआ है, उसे समय पर चार्जशीट दाखिल न करने के कारण जमानत दिलाने में एसीबी और सीआईडी के पूर्व डीजीपी की भूमिका रही थी।
मरांडी ने झारखंड उच्च न्यायालय से पूरे मामले पर स्वतः संज्ञान लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि 'जेलों में चल रहे इस खेल' और उच्चाधिकारियों की संलिप्तता की जांच सिटिंग जज की निगरानी में कराई जानी चाहिए।