क्या रणदीप सुरजेवाला ने राज्य सभा में चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर चर्चा की मांग की?

सारांश
Key Takeaways
- रणदीप सुरजेवाला ने चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर चिंता जताई।
- स्थगन प्रस्ताव के तहत तात्कालिक चर्चा की मांग की गई है।
- मतदाता सूची से कुछ समुदायों को बाहर किया जाना लोकतंत्र के खिलाफ है।
- राज्य सभा में चर्चा का प्रस्ताव महत्वपूर्ण है।
- भाजपा और विपक्ष के बीच मतदाता पुनरीक्षण पर विवाद है।
नई दिल्ली, 6 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने चुनावी प्रक्रियाओं की अखंडता को लेकर गहरी चिंता प्रकट करते हुए राज्य सभा में नियम 267 के तहत एक स्थगन प्रस्ताव प्रस्तुत कर इस पर चर्चा की मांग की है। इस प्रस्ताव में उन्होंने सदन के शून्यकाल, प्रश्नकाल और अन्य कार्यों को निलंबित करके चुनावी प्रक्रिया से संबंधित मुद्दों पर तात्कालिक चर्चा कराने का आग्रह किया है।
रणदीप सुरजेवाला ने अपने प्रस्ताव में कहा कि मतदाता सूची से कुछ समुदायों को बाहर करने की खबरें अत्यंत चिंताजनक हैं। उन्होंने पारदर्शिता की कमी और सुरक्षा उपायों के अभाव पर सवाल उठाते हुए कहा कि इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर खतरा मंडरा रहा है। उनका मानना है कि सदन को इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श करना चाहिए ताकि चुनाव में उचित प्रक्रिया और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है जब देश में मतदाता सूची और चुनावी प्रक्रियाओं की निष्पक्षता को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे हैं। सुरजेवाला ने पत्र में जोर देते हुए कहा कि अनिश्चित समुदायों को मतदाता सूची से बाहर करना लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने सदन से इस मामले को प्राथमिकता देने की अपील की है ताकि जनता का भरोसा बना रहे।
राज्य सभा के नियम 267 के तहत किसी भी सूचीबद्ध कार्य को निलंबित कर तत्काल चर्चा की जा सकती है, बशर्ते सभापति इसकी अनुमति दें।
ज्ञात हो कि वर्तमान में बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण की प्रक्रिया चल रही है। इसके तहत फर्जी मतदाताओं की पहचान की जा रही है। मतदाता पुनरीक्षण में लगे अधिकारियों का दावा है कि अब तक इस प्रक्रिया में बांग्लादेश और नेपाल के कई नागरिकों को पहचान लिया गया है, जो यहां फर्जी दस्तावेजों के सहारे रह रहे हैं।
वहीं, भाजपा मतदाता पुनरीक्षण को आवश्यक बता रही है, जबकि विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि मतदाता पुनरीक्षण का सहारा लेकर भाजपा मौजूदा राजनीतिक स्थिति को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर रही है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।