क्या हमारी संस्कृति सभी जीवों में ईश्वर की उपस्थिति को देखती है? : राष्ट्रपति मुर्मू

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क्या हमारी संस्कृति सभी जीवों में ईश्वर की उपस्थिति को देखती है? : राष्ट्रपति मुर्मू

सारांश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बरेली में आईवीआरआई के दीक्षांत समारोह में हमारे जीवन मूल्यों की गहराई पर बात की। उन्होंने सभी जीवों में ईश्वर की उपस्थिति को देखने की आवश्यकता पर जोर दिया और प्रजातियों के संरक्षण के महत्व को समझाया।

Key Takeaways

  • पशु कल्याण के लिए हमारी ज़िम्मेदारी को समझना आवश्यक है।
  • प्रजातियों का संरक्षण जैव विविधता के लिए आवश्यक है।
  • ईश्वर की उपस्थिति को सभी जीवों में महसूस करना चाहिए।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग पशु चिकित्सा में सुधार कर सकता है।
  • उद्यमिता से न केवल रोजगार मिलेगा, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।

बरेली, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को उत्तर प्रदेश के बरेली में भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के दीक्षांत समारोह में भाग लिया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि हमारी संस्कृति 'ईशावास्यम् इदं सर्वम्' के जीवन मूल्य पर आधारित है, जो सभी जीवों में ईश्वर की उपस्थिति को देखती है। हमारे देवताओं और ऋषियों द्वारा पशुओं से संवाद करने की मान्यता भी इसी सोच पर आधारित है।

राष्ट्रपति मुर्मू ने छात्रों को संदेश देते हुए कहा कि मनुष्य का वनों और वन्य जीवों के साथ सह-अस्तित्व का रिश्ता है। कई प्रजातियां या तो विलुप्त हो चुकी हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन प्रजातियों का संरक्षण जैव विविधता और पृथ्वी के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। ईश्वर ने मनुष्य को जो सोचने-समझने की शक्ति दी है, उसका उपयोग सभी जीवों के कल्याण के लिए किया जाना चाहिए। कोरोना महामारी ने मानव जाति को चेताया है कि उपभोग पर आधारित संस्कृति न केवल मानव जाति को बल्कि अन्य जीव-जंतुओं और पर्यावरण को भी अकल्पनीय क्षति पहुंचा सकती है।

उन्होंने कहा कि आज दुनिया भर में 'एक स्वास्थ्य' की अवधारणा को महत्व मिल रहा है। यह अवधारणा मानती है कि मनुष्य, पालतू और जंगली जानवर, वनस्पतियां और व्यापक पर्यावरण सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं। हमें पशु कल्याण के लिए प्रयास करना चाहिए। एक प्रमुख पशु चिकित्सा संस्थान के रूप में आईवीआरआई इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, खासकर जूनोटिक बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण में।

राष्ट्रपति ने कहा कि अन्य क्षेत्रों की तरह प्रौद्योगिकी में पशु चिकित्सा और देखभाल में भी क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता है। प्रौद्योगिकी के उपयोग से देश भर के पशु चिकित्सालयों को सशक्त बनाया जा सकता है। जीनोम एडिटिंग, भ्रूण स्थानांतरण तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का उपयोग इस क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।

उन्होंने आईवीआरआई जैसे संस्थानों से पशुओं के लिए स्वदेशी और कम लागत वाले उपचार और पोषण खोजने की अपील की। उन्होंने कहा कि उन्हें उन दवाओं के विकल्प भी तलाशने चाहिए, जिनके दुष्प्रभाव न केवल पशुओं, बल्कि मनुष्यों और पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं।

राष्ट्रपति ने आईवीआरआई के छात्रों की इस बात के लिए सराहना की कि उन्होंने बेजुबान जानवरों के इलाज और उनके कल्याण को अपना करियर चुना है। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे अपने जीवन और करियर में किसी दुविधा की स्थिति में उन जानवरों के बारे में सोचें। इससे उन्हें सही रास्ता मिलेगा।

उन्होंने छात्रों से उद्यमी बनने और पशु विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में स्टार्ट-अप स्थापित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस प्रयास से वे न केवल जरूरतमंदों को रोजगार दे पाएंगे, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी योगदान दे पाएंगे।

Point of View

मैं मानता हूँ कि राष्ट्रपति मुर्मू का संदेश सभी जीवों के प्रति हमारी जिम्मेदारी को स्पष्ट करता है। उनकी बातों में एकता और सह-अस्तित्व का महत्वपूर्ण संदेश है, जो हमें एक स्वस्थ और संतुलित पारिस्थितिकी के लिए प्रेरित करता है। यह विचार न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाता है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थायी दुनिया बनाने की दिशा में भी अग्रसर करता है।
NationPress
21/07/2025

Frequently Asked Questions

राष्ट्रपति मुर्मू ने किस अवसर पर यह बात कही?
राष्ट्रपति मुर्मू ने यह बात बरेली में भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के दीक्षांत समारोह में कही।
ईशावास्यम् इदं सर्वम् का क्या अर्थ है?
यह संस्कृत वाक्य सभी चीजों में ईश्वर की उपस्थिति को दर्शाता है।
पशुओं के कल्याण के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
हमें पशुओं के लिए स्वदेशी और कम लागत वाले उपचार और पोषण की खोज करनी चाहिए।
एक स्वास्थ्य की अवधारणा का क्या महत्व है?
यह अवधारणा बताती है कि मनुष्य, जानवर और पर्यावरण सभी एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
राष्ट्रपति ने छात्रों को क्या सलाह दी?
राष्ट्रपति ने छात्रों को उद्यमी बनने और पशु विज्ञान में स्टार्ट-अप स्थापित करने की सलाह दी।