क्या जोश, ऊर्जा और एकता के भाव से समापन की ओर बढ़ रही है राष्ट्रीय एकता पदयात्रा?
सारांश
Key Takeaways
- यह यात्रा सरदार पटेल की जयंती पर शुरू हुई थी।
- जुड़ने की भावना के साथ लाखों लोग इस यात्रा में शामिल हुए।
- समापन के मौके पर कई महत्त्वपूर्ण लोग भाग ले रहे हैं।
- यात्रा ने सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देने का कार्य किया है।
- यात्रा में देशभक्ति की भावना का अद्भुत प्रदर्शन हुआ है।
नई दिल्ली, 6 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। ‘राष्ट्रीय एकता पदयात्रा’ का समापन शनिवार को होने वाला है। इस यात्रा की शुरुआत सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती के अवसर पर की गई थी।
केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने इस बारे में एक्स हैंडल पर जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि जोश, ऊर्जा और एकता के भाव के साथ यह यात्रा समापन की ओर बढ़ रही है।
उन्होंने एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें वे एक विशाल काफिले के साथ चल रहे हैं। उनके कंधे पर तिरंगा लहरा रहा है और उनके साथ चलने वाले अन्य व्यक्तियों ने भी तिरंगा धारण किया हुआ है। वीडियो में देशभक्ति से भरपूर जोशीले गीत सुनाई दे रहे हैं।
गुजरात के करमसद में सरदार पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए ‘राष्ट्रीय एकता पदयात्रा’ का आरंभ हुआ था। इसके बाद गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने तिरंगा झंडा दिखाकर यात्रा को रवाना किया। हजारों एनएसएस, एनसीसी कैडेट्स, भारत स्काउट्स और गाइड्स तथा माय भारत वॉलंटियर्स ने “भारत माता की जय” और 'वंदे मातरम' के नारे लगाकर इस यात्रा का शुभारंभ किया था।
यात्रा में शामिल सभी लोग देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण नजर आए। यह पदयात्रा 11 दिनों में 152 किमी की दूरी तय कर चुकी है, जिसका समापन आज 6 दिसंबर 2025 को स्टैच्यू ऑफ यूनिटी, एकता नगर (केवड़िया) में होने जा रहा है। इस विशेष अवसर पर यात्रा में अनेक लोग शामिल होंगे।
इससे पहले यह पदयात्रा राजपीपला से गरुड़ेश्वर की ओर बढ़ी थी। इस यात्रा में युवा, महिलाएं और अन्य सांस्कृतिक समूहों से जुड़े लोग शामिल हुए। यात्रा में शामिल सभी लोग देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत थे।
26 नवंबर को अपनी शुरुआत के बाद से यह यात्रा कई जिलों में गुजरी है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, वरिष्ठ नेताओं, जनप्रतिनिधियों, युवा संगठनों और नागरिकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया है, जिससे राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने, सामाजिक सामंजस्य को मजबूत करने और सरदार पटेल के शासन के सिद्धांतों का प्रसार करने के लिए इस पदयात्रा के उद्देश्यों को बल मिला है।