क्या रवीना टंडन ने भगवद गीता के उद्धरणों से फैंस को प्रेरित किया?
सारांश
Key Takeaways
- कर्म पर ध्यान केंद्रित करना जीवन में सफलता की कुंजी है।
- जीत और हार के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
- ईमानदारी और दया इंसान की असली ताकत हैं।
- समाज सेवा में योगदान देना महत्वपूर्ण है।
- अवॉर्ड्स के माध्यम से रवीना की प्रतिभा की पुष्टि होती है।
नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। 90 के दशक की प्रसिद्ध अभिनेत्री रवीना टंडन आज भी फिल्मों और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं। अक्षय कुमार के साथ जल्द ही 'वेलकम टू द जंगल' में नजर आने वाली रवीना ने एक साधारण और खुशहाल जीवन जीने के लिए भगवद गीता के कुछ अनमोल उद्धरण साझा किए हैं।
अभिनेत्री ने अपने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में लिखा है, "अपने कर्म पर पूर्ण ध्यान केंद्रित करें, बिना यह जाने कि इसके परिणाम क्या होंगे। कर्म पर ध्यान दें, न कि उसके परिणाम पर।" एक अन्य पोस्ट में उन्होंने कहा, "जीत पर अधिक उत्साह न दिखाएं और हार पर अधिक दुखी न हों, जीवन को संतुलित ढंग से जीएं।"
एक अलग पोस्ट में उन्होंने लिखा, "ईमानदारी और दया ही एक व्यक्ति की असली ताकत होती है, हमेशा वही चुनें जो सही है, न कि आसान।" फैंस को रवीना के ये विचार बेहद पसंद आ रहे हैं।
रवीना टंडन न केवल एक्ट्रेस हैं बल्कि एक समाज सेविका भी हैं। वे अक्सर सोशल मीडिया के जरिए पशु-पक्षियों के संरक्षण के लिए फैंस से अपील करती हैं। हाल ही में उन्होंने दिल्ली में सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर में बंद करने के आदेश पर अपनी नाराजगी व्यक्त की थी और इसे असंवेदनशील बताया। उन्होंने कहा कि कुत्तों को शेल्टर होम में बंद करना कोई स्थायी समाधान नहीं है, बल्कि उनकी नसबंदी और टीकाकरण के बाद उन्हें छोड़ देना चाहिए।
इस महीने रवीना को टेलीविजन सीरीज 'कर्मा कॉलिंग' में नकारात्मक भूमिका के लिए दादा साहब फाल्के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव पुरस्कार से नवाजा गया। इससे पहले, उन्हें 2022 में 'अरण्यक' वेबसीरीज के लिए भी यही पुरस्कार मिला था। उन्होंने इस सीरीज में कस्तूरी डोगरा के किरदार के लिए यह पुरस्कार जीता था। रवीना ने अपने करियर में कई पुरस्कार जीते हैं और उनकी बेटी राशा टंडन भी फिल्मों में कदम रख चुकी हैं।