क्या आरबीआई ने मुद्रास्फीति के अनुमान को 2.6 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत किया?
सारांश
Key Takeaways
- आरबीआई ने मुद्रास्फीति अनुमान को 2.6% से घटाकर 2% किया।
- खाद्य कीमतों में गिरावट इसका मुख्य कारण है।
- पॉलिसी रेपो रेट को 5.25% पर लाया गया।
- कोर मुद्रास्फीति स्थिर रहने की उम्मीद है।
- आर्थिक विकास को समर्थन देने का प्रयास।
मुंबई, 5 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने शुक्रवार को जीएसटी दर कटौती और खाद्य कीमतों में तेज गिरावट के कारण चालू वित्त वर्ष के लिए देश की मुद्रास्फीति दर के अनुमान को 2.6 प्रतिशत से घटाकर 2 प्रतिशत कर दिया है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, "हेडलाइन मुद्रास्फीति में महत्वपूर्ण कमी आई है और इसके पिछले अनुमानों से भी नरम रहने की संभावना है, जिसका मुख्य कारण खाद्य कीमतों का स्थिर रहना है। इन अनुकूल परिस्थितियों के मद्देनजर 2025-26 और 2026-27 की पहली तिमाही के मुद्रास्फीति अनुमानों को कम किया गया है।"
उन्होंने कहा कि कीमती धातुओं की कीमतों पर लगातार दबाव के बावजूद, कोर मुद्रास्फीति (फूड और फ्यूल की कीमतों को हटाकर) सितंबर-अक्टूबर में काफी हद तक नियंत्रित रही। सोने को छोड़कर, कोर मुद्रास्फीति अक्टूबर में 2.6 प्रतिशत रही।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि उच्च खरीफ उत्पादन, रबी की अच्छी बुवाई, पर्याप्त जलाशय स्तर और अनुकूल मिट्टी की नमी के कारण फूड सप्लाई की संभावनाएं सुधरी हैं। कुछ धातुओं को छोड़कर, अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी कीमतों में आगे नरमी आने की संभावना है।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, "कुल मिलाकर, खाद्य कीमतों में गिरावट के कारण मुद्रास्फीति अक्टूबर के पिछले अनुमान से कम रहने की संभावना है। इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए, 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति अब 2.0 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 0.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 2.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसी तरह वित्त वर्ष 27 की पहली और दूसरी तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति क्रमशः 3.9 प्रतिशत और 4.0 प्रतिशत रहने का अनुमान है।"
उन्होंने बताया कि कोर मुद्रास्फीति 2024-25 की पहली तिमाही से लगातार बढ़ रही थी और 2025-26 की दूसरी तिमाही में मामूली रूप से कम हुई और आगे भी स्थिर रहने की उम्मीद है। 2026-27 की पहली छमाही के दौरान हेडलाइन और कोर मुद्रास्फीति, दोनों के 4 प्रतिशत के लक्ष्य पर या उससे कम रहने की उम्मीद है।
आरबीआई गवर्नर के अनुसार, ग्रोथ-इंफ्लेशन बैलेंस, विशेष रूप से हेडलाइन और कोर मुद्रास्फीति को लेकर सौम्य आउटलुक विकास की गति को सपोर्ट देने के लिए पॉलिसी स्पेस प्रदान करता है। इसलिए एमपीसी ने सर्वसम्मति से पॉलिसी रेपो रेट को 25 बेसिस पॉइंट से घटाकर 5.25 प्रतिशत करने का निर्णय लिया।