क्या 'अर्द्धचक्रासन' रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाता है? जानें इसके चमत्कारी फायदे
सारांश
Key Takeaways
- रीढ़ की हड्डी को लचीला बनाने में मदद करता है।
- पेट और जांघों की चर्बी कम करता है।
- फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है।
- सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस जैसी समस्याओं में राहत देता है।
- हाई बीपी और दिल के मरीजों को सावधानी बरतनी चाहिए।
नई दिल्ली, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। योग भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 'अर्द्धचक्रासन' एक ऐसा प्रभावी योगासन है, जिसके नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी लचीली और मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
'अर्द्धचक्रासन' का अर्थ 'आधा चक्र' है। इस आसन में शरीर की आकृति पीछे की ओर झुकते हुए अर्धचंद्र के समान बनती है, इसलिए इसे 'अर्द्धचक्रासन' कहा जाता है।
आयुष मंत्रालय ने इसके अभ्यास के कुछ महत्वपूर्ण लाभ बताए हैं। इसके अनुसार, शरीर की मुद्रा आधे पहिये जैसी बनती है, जो रीढ़ को लचीला बनाती है, पेट और जांघों की चर्बी कम करती है, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाती है और सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करती है। हालांकि, उच्च रक्तचाप और हृदय रोगी इसे सावधानी से करें या न करें।
इसे करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सीधे खड़े हों, पैरों में थोड़ा गैप रखते हुए हाथों को कमर पर रखें। फिर, गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को कमर पर रखें। सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर से पीछे की ओर झुकें। ध्यान रखें कि घुटने सीधे रहें और सिर पीछे की ओर झुके। इस स्थिति में 10-15 सेकंड तक रुकें, सामान्य सांस लेते रहें। फिर धीरे-धीरे सांस लेते हुए प्रारंभिक स्थिति में लौट आएं। इसे 3-5 बार दोहराना चाहिए।
इस योग को करते समय कुछ सावधानी बरतनी चाहिए या फिर शुरुआत में किसी एक्सपर्ट की सलाह लें। वहीं, हाई बीपी और दिल के मरीज या गंभीर पीठ दर्द से जूझ रहे लोग इसे न करें। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को भी इस आसन को करने से परहेज करना चाहिए या किसी एक्सपर्ट की सलाह लें। योगासन से पहले हल्का-फुल्का वार्म अप भी फायदेमंद रहता है।