क्या रीवा की बघेली भाषा वाजपेयी के दिल के करीब थी? - अमित शाह
सारांश
Key Takeaways
- रीवा की बघेली भाषा का महत्व
- पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ इसका संबंध
- कृषि विकास में प्राकृतिक खेती का योगदान
- महिला सशक्तिकरण और औद्योगिक विकास के बाद कृषि वर्ष की घोषणा
- किसानों के लिए आर्थिक सहायता योजनाएं
रीवा, २५ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को मध्य प्रदेश के रीवा जिले में आयोजित किसान सम्मेलन में संबोधित करते हुए कहा कि रीवा की बघेली भाषा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दिल के बेहद करीब थी और वे अक्सर इसी भाषा में संवाद किया करते थे।
अमित शाह ने यह बात राज्य सरकार की 'प्राकृतिक खेती परियोजना' के शुभारंभ के अवसर पर कही।
कार्यक्रम से पूर्व, अमित शाह ने ई-कार्ट के माध्यम से एक गौशाला का निरीक्षण किया और रीवा के बसामन मामा क्षेत्र में कृषि विभाग द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मोहन यादव, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल तथा कई स्थानीय भाजपा नेता उपस्थित रहे।
बघेली भाषा बघेलखंड क्षेत्र की प्रमुख स्थानीय भाषा है, जिसमें रीवा, सीधी और सतना जिले शामिल हैं। यह भाषा अवधी और भोजपुरी से काफी मिलती-जुलती है। रीवा जिला उत्तर प्रदेश की सीमा से तीन दिशाओं—प्रयागराज (इलाहाबाद), मिर्जापुर-वाराणसी, और चित्रकूट—से जुड़ा हुआ है, जिससे यहां की भाषा और संस्कृति पर भी उसका प्रभाव दिखाई देता है।
उन्होंने बसामन मामा गौशाला का भी जिक्र किया, जहां ७,००० से अधिक गायों को आश्रय प्रदान किया गया है। यह गौशाला विशेष रूप से बेसहारा गायों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से स्थापित की गई है।
रीवा में आयोजित यह कार्यक्रम मुख्यमंत्री मोहन यादव की कृषि विकास और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दूरदर्शी सोच का हिस्सा है।
महिला सशक्तिकरण (२०२४-२५) और औद्योगिक विकास (२०२५-२६) को समर्पित दो वर्षों के बाद, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने वर्ष २०२६ को 'कृषि वर्ष' घोषित किया है।
इस पहल के तहत किसानों की आय बढ़ाने, जलवायु अनुकूल प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने, फसलों के उचित दाम सुनिश्चित करने, तकनीकी सुधारों और डिजिटल माध्यमों से कृषि को सशक्त बनाने के लिए समन्वित प्रयास किए जाएंगे।
मध्य प्रदेश देश में मक्का और सोयाबीन उत्पादन में पहले स्थान पर है, जबकि गेहूं, उड़द, मसूर, चना, सरसों, तिलहन, दलहन, अनाज और मोटे अनाज के उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।
पिछले दो वर्षों में राज्य सरकार ने ४८.५१ लाख किसानों से २.४१ करोड़ मीट्रिक टन अनाज की खरीद की है और इसके बदले ८१,७६७ करोड़ रुपए की राशि सीधे किसानों के खातों में ट्रांसफर की गई है।
प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान की स्थिति में किसानों को राहत देने के लिए बीते दो वर्षों में ७७ लाख किसानों को १,२४३.५४ करोड़ रुपए का मुआवजा भी दिया गया है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों को सालाना ६,००० रुपए देती है, जबकि राज्य सरकार भी ६,००० रुपए की सहायता प्रदान करती है। अप्रैल २०२५ से अब तक इस संयुक्त योजना के अंतर्गत १.६१ करोड़ किसानों को कुल ६५,७५६ करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं।